World Record:जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में शनिवार को आयोजित ‘कशूर रिवाज’ सांस्कृतिक उत्सव ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। इस उत्सव में 10,000 युवतियों ने एक साथ कश्मीरी लोक नृत्य का प्रदर्शन करके विश्व रिकॉर्ड बनाया। यह आयोजन प्रो. शौकत अली इंडोर स्टेडियम में हुआ, जहां कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का जश्न मनाया गया।
जीवंत परंपराओं का भव्य प्रदर्शन किया
इस महोत्सव में पारंपरिक नृत्य और संगीत के साथ-साथ सुलेख और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से कश्मीर की जीवंत परंपराओं का भव्य प्रदर्शन किया गया। ‘कशूर रिवाज’ ने न केवल कश्मीरी संस्कृति की महानता को दर्शाया, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान भी दिलाई।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
- स्थान और आयोजन:
यह भव्य आयोजन बारामूला जिले के प्रो. शौकत अली इंडोर स्टेडियम में किया गया। यह स्टेडियम युवाओं और कला प्रेमियों से खचाखच भरा हुआ था, जो इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। - कश्मीरी संस्कृति का प्रदर्शन:
‘कशूर रिवाज’ के तहत पारंपरिक कश्मीरी लोक नृत्य, संगीत, सुलेख और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया। यह महोत्सव कश्मीर की पुरानी और समृद्ध परंपराओं को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास था। - विश्व रिकॉर्ड:
10,000 युवतियों ने एक साथ लोक नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे यह आयोजन न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया। यह रिकॉर्ड कश्मीरी संस्कृति को एक नई ऊंचाई पर ले गया है। - प्रतिभागियों का जोश:
नृत्य में भाग लेने वाली युवतियों ने इस आयोजन के प्रति अपने उत्साह और गर्व को साझा किया। उन्होंने बताया कि इस आयोजन का हिस्सा बनना उनके लिए एक गौरव का क्षण था, जो उन्हें जीवन भर याद रहेगा। - समारोह का उद्देश्य:
इस महोत्सव का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन नहीं था, बल्कि इसके माध्यम से युवाओं को अपनी जड़ों और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का प्रयास किया गया। आयोजकों का मानना है कि इस तरह के कार्यक्रमों से कश्मीरी संस्कृति को संरक्षित और प्रचारित किया जा सकता है।
समाज पर प्रभाव:
इस आयोजन ने कश्मीरी समाज में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। युवाओं में अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता और गर्व बढ़ा है, और उन्होंने अपने अद्वितीय कला रूपों को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है।
भविष्य की योजनाएं:
आयोजकों ने इस सफलता के बाद भविष्य में और भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना बनाई है, जिससे कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक पहचान मिल सके।