Gonda: दोपहर के करीब सवा तीन बजे का समय था, जब मोतीगंज-झिलाही बाजार के बीच पिकौरा गांव के समीप चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की बोगियां पलट गईं। घटना स्थल पर यात्री बुरी तरह से फंसे हुए थे। कोई गन्ने के खेत में कराह रहा था तो कोई मदद की गुहार लगा रहा था। एसी कोच के यात्री शीशे तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे।
स्थानीय मदद और पुलिस की कार्यवाही
स्थानीय ग्रामीण और पुलिस कर्मी इस मुश्किल घड़ी में यात्रियों को बोगियों से निकालने की कोशिश कर रहे थे। कुछ यात्री चेहरे पर उदासी लिए थे तो कुछ नई जिंदगी मिलने की बात कह रहे थे। चोटिल यात्री लड़खड़ाते हुए अपना सामान संभालते नजर आए। दुर्घटना के बाद यात्रियों ने अपने प्रियजनों से संपर्क करने की कोशिशें शुरू कर दीं।
यात्री की आपबीती
बिहार के मोतिहारी की साबिया खातून और कलामुन लखनऊ से घर जा रही थीं। साबिया ने बताया कि आज उन्हें नई जिंदगी मिली है। अल्लाह का शुक्र है कि वह जिस बोगी में थीं, वह नहीं पलटी। शिवपती सिंह, जो अंबाला में पढ़ाई कर रही थीं, ने कहा कि यह हादसा उन्हें जिंदगी भर नहीं भूलेगा। ट्रेन की रफ्तार कम होने के कारण वह बच गईं।
घटनास्थल की हालत
यात्रियों ने किसी तरह बोगी से निकलकर तीन से चार किलोमीटर पैदल चलकर सड़क तक पहुंचे। हादसे के बाद मसकनवा और मनकापुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों को रोक दिया गया। रूट परिवर्तन के बाद आम्रपाली एक्सप्रेस को रवाना किया गया।
सहायक चालक और टेक्नीशियन की स्थिति
ट्रेन के सहायक चालक की तबीयत बिगड़ गई, जिससे गार्ड परेशान हो गया। एंबुलेंस मंगाने के लिए गार्ड लोगों से फोन करने की अपील करता नजर आया। ट्रेन में मौजूद टेक्नीशियन ने बताया कि उसे पावर काटने के लिए कहा गया था, जिसे उसने तुरंत काट दिया।
यात्रियों की प्रतिक्रिया
संतकबीरनगर के वैभव ने बताया कि दो बजकर 58 मिनट पर अचानक ट्रेन लड़खड़ाने लगी और बोगी पलट गई। पानी में घुसकर उन्होंने किसी तरह बाहर निकलने में कामयाबी पाई। स्थानीय लोगों ने बोगी में फंसे यात्रियों की काफी मदद की।
यह दुर्घटना यात्रियों के लिए एक भयानक अनुभव थी, जिसमें कई लोगों ने अपनी जान बचाई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय मदद और त्वरित पुलिस कार्रवाई ने कई जिंदगियों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।