Bangladesh Crisis: जनवरी में लगातार चौथी बार चुनाव जीतने वाली शेख हसीना को जुलाई में छात्रों के उग्र प्रदर्शन के चलते इस्तीफा देकर देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन जुलाई में शुरू हुआ, जिसमें हजारों छात्र सड़कों पर उतर आए।
हिंसक हुआ विरोध
16 जुलाई को प्रदर्शन हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारी छात्र सुरक्षा अधिकारियों और सरकार समर्थक कार्यकर्ताओं से भिड़ गए। अधिकारियों ने आंसू गैस छोड़ी, रबर की गोलियां चलाई और कर्फ्यू लगाकर देखते ही गोली मारने के आदेश दिए।
शहरों में कर्फ्यू और अराजकता
ढाका समेत कई प्रमुख शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सुरक्षा बलों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए। प्रदर्शनकारी छात्रों ने सरकारी इमारतों और वाहनों को निशाना बनाया।
राजनीतिक अस्थिरता और शेख हसीना का इस्तीफा
प्रदर्शनकारियों का आक्रोश बढ़ता गया और अंततः शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा। उनके इस्तीफे के बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो सकी और देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना रहा।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस घटना पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी प्रतिक्रिया दी। कई देशों ने बांग्लादेश में शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र ने भी स्थिति पर चिंता व्यक्त की और हिंसा को रोकने के लिए सभी पक्षों से बातचीत का आह्वान किया।
भविष्य की चुनौतियाँ
शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ गई है। नई सरकार के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें छात्रों के प्रदर्शन को शांत करना और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की नीतियों पर पुनर्विचार करना शामिल है।