रक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित एक ऐतिहासिक अभियान के तहत, अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी, किलिमंजारो की उहुरू चोटी पर एक विशाल भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। यह अभियान 78वें स्वतंत्रता दिवस से कुछ दिन पहले संपन्न हुआ और इसका मकसद दिव्यांगजनों और अन्य वंचित युवाओं को प्रेरित करना था।
ऐतिहासिक अभियान की तैयारी और निष्पादन
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान (एचएमआई) के दिव्यांगजन अभियान दल ने इस मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। टीम ने 7,800 वर्ग फीट के भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को किलिमंजारो की उहुरू चोटी पर फहराया। अभियान की अगुवाई ग्रुप कैप्टन जय किशन ने की, जिनकी टीम में उदय कुमार और अन्य सदस्य शामिल थे।
टीम ने सात अगस्त को किलिमंजारो के आधार शिविर से अपनी यात्रा शुरू की और 15,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित किबू हट तक पहुंची। वहां से उन्होंने रस्सियों, ग्राउंड नेट और लंगर की मदद से विशाल ध्वज को गर्व के साथ फहराया। मौसम की स्थिति और सभी सदस्यों की मेडिकल फिटनेस को ध्यान में रखते हुए, टीम ने आठ अगस्त को दोपहर तीन बजे उहुरू चोटी पर चढ़ाई शुरू की।
कठिन चढ़ाई और अभियान की उपलब्धि
टीम ने 85 डिग्री ढाल और अल्पाइन रेगिस्तान से गुजरते हुए दस घंटे की कठिन चढ़ाई की। अंततः वे 1300 घंटे में उहुरू चोटी के शिखर पर पहुंचने में सफल रहे और वहां भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराया। यह अभियान भारतीय पर्वतारोहण की एक नई ऊँचाई को दर्शाता है और यह भी दर्शाता है कि कठिनाइयों के बावजूद दृढ़ता और समर्थन से बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं।
अभियान का उद्देश्य और प्रभाव
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस ऐतिहासिक अभियान का उद्देश्य दिव्यांगजनों की भावी पीढ़ियों और वंचित युवाओं को प्रेरित करना था। मंत्रालय का मानना है कि इस अभियान के माध्यम से दिखाया गया है कि किस तरह सपनों को पूरा करने के लिए कठिनाइयों का सामना कर सकता है, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों।
रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि यह अभियान एक उम्मीद की किरण के रूप में कार्य करेगा और सभी को यह याद दिलाएगा कि दृढ़ता और समर्थन के साथ क्या कुछ हासिल किया जा सकता है। इस अभियान ने न केवल भारतीय पर्वतारोहण की गौरवगाथा को नया मुकाम दिया है, बल्कि दिव्यांगजनों और वंचित वर्गों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत का कार्य किया है।