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हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट से मचा सियासी घमासान: विपक्ष की जेपीसी की मांग, सरकार का पलटवार

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर देशभर में राजनीतिक तूफान

Hindenburg: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे पर जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) की मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। इस विवाद के चलते दोनों पक्षों के बीच बयानबाजी का सिलसिला तेज हो गया है।

केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी का कड़ा बयान

इस बीच, केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “हिंडनबर्ग की कार्यशैली और उसके उद्देश्यों के बारे में सबको पता है। यह कंपनी बाजार को अस्थिर करके पैसा कमाती है। इस रिपोर्ट की मंशा पर ध्यान देना आवश्यक है।” चौधरी ने जोर देकर कहा कि लोगों को यह समझने की जरूरत है कि इस रिपोर्ट का स्रोत क्या है और इसका वास्तविक उद्देश्य क्या है।

उन्होंने कहा कि सेबी के सभी निवेशों का रिकॉर्ड सुरक्षित है और सेबी की चेयरपर्सन ने भी इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है। चौधरी ने कहा, “हमें यह समझना चाहिए कि हिंडनबर्ग बाजार में उतार-चढ़ाव पैदा करके लाभ कमाने की रणनीति अपनाती है।”

सेबी और अडानी समूह पर लगाए गए आरोप

हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट के बाद देश की सियासत में हड़कंप मच गया है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडानी समूह से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी थी। रिपोर्ट के अनुसार, इन कंपनियों के माध्यम से बाजार में हेरफेर किया गया।

अडानी समूह पर असर और गौतम अडानी की प्रतिक्रिया

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का असर अडानी समूह की कंपनियों पर भी दिखाई दे रहा है। अडानी के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग दुर्भावना से प्रेरित होकर अडानी समूह को निशाना बना रही है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने भारतीय राजनीति में भारी उथल-पुथल मचा दी है। जहां एक तरफ विपक्ष जेपीसी की मांग कर रहा है, वहीं सरकार और अडानी समूह ने रिपोर्ट की मंशा और सटीकता पर सवाल उठाए हैं। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है और इस पर राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर क्या परिणाम होते हैं।

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