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एक राष्ट्र, एक चुनाव: मोदी कैबिनेट से मिली मंजूरी

One Nation One Election”एक राष्ट्र, एक चुनाव” की अवधारणा, जिसमें विधानसभा और लोकसभा चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव रखा गया है, अब एक ठोस कदम के रूप में उभरी है। यह विचार न केवल राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे चुनावी प्रक्रिया को भी सरल बनाया जा सकेगा।

कैबिनेट की मंजूरी

हाल ही में, मोदी कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया गया। समिति ने एक साथ चुनाव कराने के कई लाभों को उजागर किया, जैसे कि चुनावी खर्च में कमी, प्रशासनिक बोझ का घटाव और चुनावों के दौरान होने वाली धांधलियों की संभावना को कम करना।

अमित शाह का संकेत

गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर इस विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की दिशा में कदम उठाना देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करेगा। उनके बयान ने इस प्रस्ताव की दिशा में आगे बढ़ने की उम्मीद जगाई।

इसके फायदे

एक साथ चुनाव कराने से देश के विभिन्न हिस्सों में चुनावी गतिविधियों का टकराव कम होगा। इससे न केवल सरकारी तंत्र को व्यवस्थित किया जा सकेगा, बल्कि चुनावी तैयारी में भी तेजी आएगी। इसके अलावा, इससे राजनीतिक पार्टियों को अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग करने का अवसर मिलेगा।

प्रस्ताव का महत्व

“एक राष्ट्र, एक चुनाव” की पहल भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। यह न केवल चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का एक उपाय है, बल्कि यह लोकतंत्र को और मजबूत करने की दिशा में एक प्रभावी कदम भी है। इस प्रस्ताव पर आगे की कार्रवाई के लिए सभी संबंधित पक्षों का समर्थन आवश्यक होगा।

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