हाल ही में भारतीय राजनीति में एक नई बहस शुरू हुई है, जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा। इस पत्र का संदर्भ केंद्रीय मंत्री वनीत सिंह बिट्टू द्वारा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को ‘देश का सबसे बड़ा आतंकवादी’ कहे जाने वाले बयान से है। खरगे ने इस बयान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी जवाबी पत्र लिखा।
खरगे का पत्र
खरगे ने अपने पत्र में वनीत सिंह बिट्टू के बयान को अस्वीकार्य बताया और केंद्र सरकार से इस पर ठोस कदम उठाने की अपील की। उन्होंने मोदी सरकार को याद दिलाया कि किस प्रकार से राजनीति में भाषा की गरिमा को बनाए रखना आवश्यक है। खरगे ने यह भी कहा कि ऐसे बयान से केवल सियासी मतभेद ही नहीं बढ़ते, बल्कि देश में नफरत और विभाजन की भावना भी फैलती है।
नड्डा का जवाब
इसके जवाब में, जेपी नड्डा ने खरगे और कांग्रेस नेताओं पर तीखे शब्दों में हमले किए। उन्होंने खरगे के पत्र को ‘फेल प्रोडक्ट’ की तरह वर्णित किया, यह कहते हुए कि कांग्रेस पार्टी खुद आंतरिक संकट का सामना कर रही है। नड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने पिछले दस वर्षों में 110 से अधिक गालियां दी हैं और अब वे दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं की कथित अनैतिकता और बेतुकी बातों की ओर ध्यान आकर्षित किया।
सियासी माहौल
यह पत्र युद्ध एक बार फिर से भारतीय राजनीति में वाक्युद्ध को ताजा करता है, जहां दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। भाजपा ने हमेशा कांग्रेस पर नैतिकता की कमी का आरोप लगाया है, जबकि कांग्रेस भाजपा को तानाशाही के आरोपों में घेरती आई है। इस पत्र के माध्यम से दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की है।
पृष्ठभूमि
इस प्रकार, खरगे और नड्डा के बीच यह लेटरवॉर केवल एक पत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में भाषा, नैतिकता और आरोप-प्रत्यारोप के एक नए अध्याय की शुरुआत को भी दर्शाता है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, यह देखा जाएगा कि ये बयानों की खींचतान कैसे राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करती है।