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आरजी कर अस्पताल में घटिया दवाओं का मामला: जूनियर डॉक्टरों का गंभीर खुलासा

RG Kar Case:आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने घटिया और गंदी दवाएं मंगाने के आरोप लगाए हैं। इन डॉक्टरों का दावा है कि अस्पताल में मंगाई जा रही दवाएं खराब गुणवत्ता की थीं, जिसके चलते कई मरीजों की जान चली गई। जूनियर डॉक्टरों ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस मुद्दे को लेकर आवाज उठाई, तो उन्हें धमकियां दी गईं।

डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी संदीप घोष से घटिया दवाओं की शिकायत करने पर उन्हें परीक्षा में फेल करने की धमकी दी गई। इसके अलावा, उन्हें फोन पर जान से मारने की धमकियां भी मिलती थीं, जिससे वे इस गंभीर मामले पर खुलकर बात नहीं कर पा रहे थे।

जूनियर डॉक्टरों की परेशानियां और धमकियां

जूनियर डॉक्टरों ने खुलासा किया कि घटिया दवाओं की वजह से मरीजों की हालत और बिगड़ जाती थी, और कई बार यह जानलेवा साबित होती थी। जब इन डॉक्टरों ने अस्पताल प्रबंधन से इस मामले की शिकायत की, तो उन्हें धमकाया गया। संदीप घोष, जो अस्पताल में वरिष्ठ अधिकारी हैं, ने उन्हें परीक्षा में फेल करने की धमकी दी, जिससे उनके करियर पर खतरा मंडराने लगा।

डॉक्टरों ने यह भी बताया कि उन्हें फोन पर भी धमकियां मिलती थीं, और मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी दी जाती थी। इन धमकियों के कारण डॉक्टर खुद को असहाय महसूस कर रहे थे और इस मामले को ज्यादा लोगों के सामने लाने से डर रहे थे।

स्वास्थ्य सचिव का बयान

इस पूरे मामले पर पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम का भी बयान सामने आया है। उनका कहना है कि जब भी इस तरह की कोई शिकायत मिली है, तो संबंधित दवाओं की जांच कराई गई है। हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि अब तक किसी भी जांच में गलत रिपोर्ट सामने नहीं आई है।

स्वास्थ्य सचिव का कहना है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और यदि जांच में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि दवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है, जो लगातार इस पर निगरानी रखती है।

मरीजों और समाज की प्रतिक्रिया

घटिया दवाओं के इस खुलासे के बाद मरीजों और उनके परिवारों में चिंता बढ़ गई है। अस्पताल में इलाज कराने आए कई मरीजों की मौत के बाद उनके परिजनों का गुस्सा भी सामने आया है। इस मामले ने न केवल अस्पताल प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न खड़ा कर दिया है।

अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज अब चिंतित हैं कि कहीं उन्हें भी ऐसी घटिया दवाएं न दी जा रही हों, जो उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं। समाज के विभिन्न वर्गों से भी इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया आई है, और लोगों ने मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

अस्पताल में घटिया दवाओं से मरीजों की जान का खतरा

आरजी कर अस्पताल में घटिया दवाओं के इस्तेमाल का यह मामला बेहद गंभीर है। जूनियर डॉक्टरों के आरोप और धमकियों की घटनाओं ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्य सचिव ने जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में सच क्या है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है। मरीजों की सुरक्षा और इलाज की गुणवत्ता सुनिश्चित करना अब सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।

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