बिहार में जमीन सर्वे को लेकर नीतीश सरकार एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। शनिवार, 21 सितंबर को पूर्णिया में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल ने बताया कि सरकार जमीन सर्वे के लिए लोगों को कागजात तैयार करने के लिए तीन महीने का समय देने जा रही है। इस समयावधि के बाद सर्वेक्षण का कार्य शुरू होगा, जिसका आधिकारिक पत्र एक-दो दिनों में जारी किया जाएगा।
जमीन मालिकों और जनप्रतिनिधियों से परामर्श
दिलीप जायसवाल ने कहा कि इस तीन महीने की अवधि में सभी जनप्रतिनिधियों और जमीन मालिकों (रैयतों) के साथ बैठकें की जाएंगी। इन बैठकों का उद्देश्य जमीन सर्वे को लेकर लोगों की समस्याओं और सुझावों को समझना है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में विभाग के सभी सीओ को पटना बुलाकर उन्हें अपने काम में सुधार लाने के निर्देश दिए गए हैं। जायसवाल ने स्पष्ट किया कि विभाग में लापरवाही बरतने वाले कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जमीन सर्वे की पृष्ठभूमि
जमीन सर्वे को लेकर दिलीप जायसवाल ने कहा कि 1890 में अंग्रेजों के समय में सर्वेक्षण की शुरुआत हुई थी। करीब 130 साल बाद बीच में रिवीजनल सर्वे हुआ था, लेकिन अब राज्य सरकार ने एक विशेष सर्वेक्षण अभियान शुरू किया है। इस सर्वेक्षण के पूरा होने के बाद राज्य में जमीन से जुड़े विवादों और अनिश्चितताओं का समाधान हो जाएगा।
38 प्रतिशत लोगों को कागजात की कमी
मंत्री ने बताया कि वर्तमान में 62 प्रतिशत लोगों के पास जमीन से जुड़े कागजात मौजूद हैं, जबकि 38 प्रतिशत लोगों को वंशावली, खतियान और बंटवारे से संबंधित कागजात की आवश्यकता है। उन्होंने माना कि इन लोगों को अपने कागजात ढूंढने और तैयार करने में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तीन महीने की मोहलत देकर सरकार इन्हें कागजी प्रक्रिया पूरी करने का अवसर दे रही है ताकि सर्वेक्षण के बाद सभी के पास जरूरी दस्तावेज हों और भविष्य में जमीन के विवाद कम हों।
जमीन विवादों पर नियंत्रण की उम्मीद
जायसवाल ने कहा कि वर्तमान में थानों में दर्ज 60 प्रतिशत मामले जमीन से जुड़े होते हैं। जमीन विवादों के कारण हत्या, मारपीट और अन्य घटनाएं होती हैं। सरकार को उम्मीद है कि सर्वे के बाद इन विवादों की संख्या में कमी आएगी। सर्वेक्षण के बाद सभी दस्तावेज डिजिटल रूप में उपलब्ध होंगे, जिससे जमीन से जुड़े विवादों का निपटारा सरल और प्रभावी ढंग से हो सकेगा।
जमीन माफिया और अतिक्रमणकारियों पर शिकंजा
मंत्री ने कहा कि सर्वे शुरू होने के बाद सबसे ज्यादा परेशानी जमीन माफिया और अतिक्रमणकारियों को हो रही है। जमीन माफिया, जो किसी अन्य की जमीन पर रजिस्ट्री करवाते थे, और वे लोग जो सरकारी जमीन पर कब्जा किए हुए हैं, उन्हें सर्वे के बाद अपने गलत कामों का खुलासा होने का डर सता रहा है।
राजस्व विभाग के कर्मचारियों की समस्याएं
सर्वे के दौरान लोगों को हो रही समस्याओं के बारे में बात करते हुए जायसवाल ने कहा कि राजस्व विभाग के कर्मचारियों और सर्वे अमीनों की मदद पर्याप्त रूप से नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारियों को गांवों में भेजकर यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि लोग किस प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। पाया गया कि लोग कागजात और सूचनाएं निकालने में विभागीय कार्यालयों में अड़चनें महसूस कर रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने तीन महीने की समयावधि देने का निर्णय लिया है।