अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) की जीत के साथ उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए तैयार हैं। अधिकारियों के अनुसार, यह शपथ ग्रहण समारोह बुधवार को डल झील के किनारे स्थित शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में आयोजित होगा, जहां सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
समारोह की सुरक्षा और वीवीआईपी की उपस्थिति
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा सुबह 11:30 बजे मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। समारोह स्थल के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, क्योंकि इस कार्यक्रम में कई वीवीआईपी शामिल होने वाले हैं। शपथ ग्रहण समारोह में इंडिया गठबंधन के घटकों को भी निमंत्रण भेजा गया है, जिससे यह कार्यक्रम और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रण और राजनीतिक पृष्ठभूमि
नेकां के संभागीय अध्यक्ष कश्मीर नासिर असलम वानी ने बताया कि उपराज्यपाल ने सोमवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष को जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने का आमंत्रण दिया था। यह आमंत्रण केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन हटाए जाने के एक दिन बाद भेजा गया। उपराज्यपाल के प्रमुख सचिव ने अब्दुल्ला को पत्र सौंपकर शपथ ग्रहण समारोह की तारीख और समय के बारे में जानकारी दी।
उमर अब्दुल्ला का राजनीतिक सफर
उमर अब्दुल्ला को पिछले वीरवार को सर्वसम्मति से नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल का नेता चुना गया था, जिससे उनके दूसरे कार्यकाल के लिए मंच तैयार हो गया। उनका पहला कार्यकाल 2009 से 2014 तक था, जब जम्मू-कश्मीर एक पूर्ण राज्य था और तब नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सरकार में वे मुख्यमंत्री थे। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में नेकां ने 90 सीटों में से 42 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं। इन दोनों दलों के पास 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत है।
मंत्रिपरिषद का गठन
शपथ ग्रहण समारोह के बाद उमर अब्दुल्ला के मंत्रिपरिषद में कुल 10 सदस्य होंगे, जिनमें उमर अब्दुल्ला के अलावा सकीना इत्तू, सैफुल्लाह मीर, अब्दुल रहीम राथर, अली मोहम्मद सागर, सुरिंदर सिंह, अजय सधोत्रा, पीरजादा मोहम्मद सैयद और कुछ निर्दलीय विधायक शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, पांच सदस्यों को उपराज्यपाल द्वारा अलग से नामित किया जाएगा, जिससे उनकी ताकत और बढ़ जाएगी।
भविष्य की संभावनाएं
उमर अब्दुल्ला का यह दूसरा कार्यकाल जम्मू-कश्मीर के लिए एक महत्वपूर्ण चरण साबित हो सकता है, खासकर अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद की राजनीतिक स्थिति में। अब देखना यह होगा कि उमर अब्दुल्ला अपने नए कार्यकाल में क्या नीतियां अपनाते हैं और राज्य की राजनीति में किस प्रकार का बदलाव लाते हैं।