वक्फ कानून में संशोधनों को लेकर संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक शुक्रवार को तीव्र हंगामे का कारण बनी। बैठक के दौरान विवादित घटनाएं घटीं, जिससे कार्यवाही में अव्यवस्था फैल गई। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के प्रस्ताव के बाद 10 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद बैठक को सुचारू रूप से जारी रखने की कोशिश की गई।
जेपीसी बैठक का उद्देश्य
वक्फ कानून में आवश्यक संशोधन करने के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया था। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों से संबंधित मामलों में सुधार लाना और इसके संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना था। इस संबंध में शुक्रवार को जेपीसी की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई थी, जिसमें विभिन्न दलों के सांसदों ने अपनी राय रखनी थी।
हंगामा और आरोप-प्रत्यारोप
बैठक में तब हंगामा मच गया, जब समिति के अध्यक्ष जगदंपिका पाल ने टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी पर गाली देने का आरोप लगाया। यह आरोप बैठक में मौजूद अन्य सांसदों द्वारा भी पुष्टि किया गया। इसके बाद, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने प्रस्ताव दिया कि कुछ विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया जाए, जो बैठक के दौरान अराजकता फैला रहे थे। उनकी बातों को गंभीरता से लेते हुए 10 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया।
निलंबन के बाद, विपक्षी सांसदों ने विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन इसे अनदेखा करते हुए बैठक को जारी रखा गया। विपक्षी सांसदों का आरोप था कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर बैठक को अव्यवस्थित करने की कोशिश की, ताकि वक्फ कानून में बदलाव पर विपक्षी विचारों को दबाया जा सके। हालांकि, भाजपा ने इस आरोप का खंडन किया और कहा कि हंगामा और अव्यवस्था विपक्षी सांसदों के द्वारा उत्पन्न की गई थी।
बैठक का परिणाम
निलंबन के बावजूद, जेपीसी की बैठक ने वक्फ कानून में प्रस्तावित संशोधनों पर चर्चा जारी रखी। भाजपा सांसदों ने कहा कि इस संशोधन से वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और विकास में मदद मिलेगी, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों को लाभ होगा। वहीं विपक्षी सांसदों ने इसे अलोकतांत्रिक और तानाशाही करार दिया।
इस घटनाक्रम ने संसद में विपक्ष और सरकार के बीच तीव्र मतभेदों को फिर से उजागर किया और यह संकेत दिया कि आगामी दिनों में वक्फ कानून पर विवाद जारी रहेगा।