You are currently viewing मेहनत की मिसाल: मूर्तियां रंगने वाले माता-पिता के बेटे ने किया कमाल, इंटरमीडिएट मेरिट लिस्ट में पाया स्थान

मेहनत की मिसाल: मूर्तियां रंगने वाले माता-पिता के बेटे ने किया कमाल, इंटरमीडिएट मेरिट लिस्ट में पाया स्थान

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UP Board) द्वारा घोषित इंटरमीडिएट परीक्षा के परिणामों में कई प्रेरणादायक कहानियाँ सामने आई हैं। ऐसी ही एक कहानी है चुनार (मिर्जापुर) के रहने वाले विशाल कुमार सेठ की, जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास से न सिर्फ परीक्षा में शानदार अंक हासिल किए, बल्कि जिले की टॉप मेरिट लिस्ट में भी अपना नाम दर्ज कराया।

88.20% अंकों के साथ जिले में नौवां स्थान

विशाल कुमार सेठ ने इंटरमीडिएट परीक्षा में 88.20 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं और मिर्जापुर जनपद की श्रेष्ठता सूची में नौवां स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि उनके लिए ही नहीं, बल्कि उनके परिवार और क्षेत्र के लिए भी गर्व का विषय है। एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले विशाल की यह सफलता उनकी अथक मेहनत और माता-पिता के बलिदान की कहानी बयां करती है।

माता-पिता रंगते हैं मूर्तियाँ, बेटे ने रच दिया इतिहास

विशाल के माता-पिता पेशे से मूर्तियाँ बनाने और उन्हें रंगने का कार्य करते हैं। पीओपी (POP) की मूर्तियों की रंगाई-पुताई करके परिवार का गुजर-बसर होता है। आर्थिक हालात ज्यादा मजबूत नहीं हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने कभी अपने बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। वे दिन-रात मेहनत करते रहे ताकि विशाल को पढ़ाई के लिए आवश्यक संसाधन मिल सकें।

सपना है इंजीनियर बनने का

विशाल का अगला लक्ष्य है इंजीनियर बनना। वह प्रयागराज स्थित प्रतिष्ठित संस्थान IERT (Institute of Engineering and Rural Technology) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता है। अपने मजबूत इरादों और जुनून के बल पर विशाल को यकीन है कि वह अपने इस सपने को भी जरूर पूरा करेगा।

मेहनत और संकल्प से लिखी सफलता की कहानी

विशाल की कहानी इस बात का प्रमाण है कि यदि संकल्प मजबूत हो तो संसाधनों की कमी भी किसी की राह नहीं रोक सकती। उन्होंने यह साबित कर दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर लगन हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। अपने माता-पिता की मेहनत और आशीर्वाद को ही वह अपनी प्रेरणा मानते हैं।

छात्रों की सफलता ना सिर्फ प्रेरणादायक है

विशाल कुमार सेठ जैसे छात्रों की सफलता ना सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि समाज के लिए एक संदेश भी है कि असली प्रतिभा किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती। साधारण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद, उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि परिश्रम, समर्पण और दृढ़ निश्चय से हर बाधा पार की जा सकती है। उनकी यह उपलब्धि ना सिर्फ उनके परिवार के लिए, बल्कि प्रदेश के अन्य छात्रों के लिए भी एक प्रेरणा है।

Spread the love

Leave a Reply