Donald Trump on India Pakistan Tensions: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए संघर्ष को लेकर एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में अमेरिका ने इस संघर्ष को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो कि एक “परमाणु युद्ध” में बदल सकता था। ट्रंप के अनुसार, अमेरिका के हस्तक्षेप और कूटनीतिक दबाव ने इस स्थिति को नियंत्रण में लाने में अहम भूमिका निभाई।
तीन दिनों तक चला था भीषण संघर्ष
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की। 6-7 मई की रात भारतीय सेना ने “ऑपरेशन सिंदूर” चलाकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। यह संघर्ष करीब तीन दिनों तक चला और हालात बेहद गंभीर हो गए थे।
सीजफायर की घोषणा और अमेरिकी भूमिका
10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम (सीजफायर) की घोषणा हुई। इस घोषणा के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि इस शांति प्रक्रिया में अमेरिका की अहम भूमिका रही। उन्होंने कहा, “हमने दोनों देशों को स्पष्ट संकेत दिया था कि यदि युद्ध हुआ तो हम उनके साथ किसी भी तरह का व्यापार नहीं करेंगे। हमारे इस दबाव ने हालात को बिगड़ने से रोका।”ट्रंप ने आगे कहा कि उस समय दोनों देश “परमाणु हथियार के इस्तेमाल” की तैयारी में हो सकते थे। उन्होंने कहा कि अमेरिका के बिना हस्तक्षेप किए यह लड़ाई बहुत बड़े विनाश का कारण बन सकती थी।
भारत का जवाब: ट्रंप की भूमिका सीमित
हालांकि भारत सरकार ने ट्रंप के इन दावों को लेकर एक अलग ही रुख अपनाया। भारत ने साफ किया कि पाकिस्तान की तरफ से संघर्षविराम की अपील की गई थी और यह निर्णय एकतरफा था। भारत ने अमेरिकी हस्तक्षेप को खारिज करते हुए कहा कि सीजफायर में अमेरिका की कोई निर्णायक भूमिका नहीं रही।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने आत्मरक्षा में कार्रवाई की थी और पाकिस्तान की ओर से सीजफायर की पहल की गई थी, जिसे भारत ने रणनीतिक दृष्टि से स्वीकार किया।