Shubhanshu Shukla News Today: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिनों का सफल मिशन पूरा किया है। इस रोमांचकारी अनुभव के बाद जब वे धरती पर लौटे और अपनी पत्नी कामना शुक्ला और बेटे कियाश शुक्ला से मिले, तो वह क्षण बेहद भावुक रहा। लंबे समय बाद अपनों से मिलकर शुभांशु की आंखें भर आईं। उन्होंने अपने इस अनुभव को सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसने उनके अनुयायियों और देशवासियों को भी भावुक कर दिया।
सोशल मीडिया पर भावनात्मक पल साझा किए
शुभांशु ने इंस्टाग्राम पर पत्नी और बेटे के साथ कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिनमें वे गले लगते हुए और मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं। तस्वीरों में भावनाओं की गहराई साफ झलक रही थी। उन्होंने पोस्ट के साथ लिखा:“अंतरिक्ष की यात्रा करना एक बेहद अनोखा अनुभव है, लेकिन उससे भी बड़ा अनुभव है — अपनों की बाहों में लौटना। क्वारंटीन मिलाकर लगभग दो महीने परिवार से दूर रहना बहुत कठिन था, लेकिन आज सब कुछ सार्थक लगता है।”
मिशन के बाद क्वारंटीन में रहे
शुभांशु की पृथ्वी पर वापसी के बाद उन्हें दो सप्ताह के क्वारंटीन से गुजरना पड़ा। यह समय उनके लिए मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण जरूर था, लेकिन उन्होंने इस दौरान खुद को संयमित रखा और अंतरिक्ष में बिताए पलों को दस्तावेज़ करने में लगाया। उन्होंने बताया कि यह अवधि उन्हें आत्ममंथन और आत्म-अवलोकन का अवसर भी प्रदान कर गई।
शून्य गुरुत्वाकर्षण और पृथ्वी का दृश्य
शुभांशु ने कहा कि अंतरिक्ष में बिताया गया हर क्षण अविस्मरणीय था। वहां की शांति, शून्य गुरुत्वाकर्षण में कार्य करना और पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखना, यह सबकुछ ऐसा था जिसे शब्दों में बयान कर पाना मुश्किल है। उन्होंने कहा:“जब आप अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखते हैं, तब महसूस होता है कि हम कितने भाग्यशाली हैं। जीवन, प्रकृति और परिवार का असली मूल्य वहीं समझ आता है।”
युवाओं के लिए प्रेरणा हैं शुभांशु का यह साहसिक सफर
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन सिर्फ व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि देश के लिए भी गर्व की बात है। उन्होंने यह साबित किया है कि अगर समर्पण और मेहनत हो, तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है — फिर चाहे वह अंतरिक्ष की यात्रा ही क्यों न हो।
उनका यह अनुभव देश के उन युवाओं और छात्रों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकता है, जो विज्ञान, अनुसंधान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं। उन्होंने न केवल भारत का नाम रोशन किया है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी सपने देखने और उन्हें साकार करने का हौसला दिया है।