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Bangladesh में हिंसा.. गोपालगंज में झड़प के दौरान चार की मौत, मोहम्मद यूनुस ने अवामी लीग को ठहराया जिम्मेदार

Bangladesh Gopalganj Violence : बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल से गुजर रही है। बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के गृहनगर गोपालगंज में बुधवार को छात्रों के नेतृत्व वाली ‘नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी)’ की रैली के दौरान सुरक्षा बलों और शेख हसीना समर्थकों के बीच झड़प हो गई। इस घटना में चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।हिंसा के तुरंत बाद प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गोपालगंज में कर्फ्यू लागू कर दिया। यह घटना देश के राजनीतिक माहौल में एक बार फिर तनाव और अस्थिरता का संकेत दे रही है।

शेख हसीना की पार्टी और एनसीपी आमने-सामने

इस झड़प का संबंध पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग से भी जुड़ता है। गौरतलब है कि शेख हसीना, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। पिछले वर्ष जुलाई और अगस्त 2024 में छात्रों द्वारा किए गए व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद हसीना सरकार को 5 अगस्त को सत्ता छोड़नी पड़ी थी।उन विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले छात्र नेताओं ने फरवरी 2025 में एनसीपी (नेशनल सिटिजन पार्टी) के नाम से एक नया राजनीतिक दल बनाया, जो अब तेजी से उभरता हुआ विपक्ष बन रहा है।

मोहम्मद यूनुस ने अवामी लीग को ठहराया जिम्मेदार

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनके कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है:“गोपालगंज की घटना केवल एक राजनीतिक झड़प नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दबाने का प्रयास है। इस हिंसा के लिए स्पष्ट रूप से अवामी लीग और उसके समर्थक जिम्मेदार हैं।”उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया कि दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो और देश में शांति एवं लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा की जाए।

बढ़ते छात्र आंदोलन से घबरा रही है पुरानी सत्ता?

एनसीपी का गठन युवा नेताओं द्वारा किया गया है, जो छात्रों की आकांक्षाओं और बदलाव की मांग को प्रमुखता से उठा रहे हैं। इस पार्टी को देशभर में युवा वर्ग का भारी समर्थन मिल रहा है। यही कारण है कि अवामी लीग जैसे पुराने राजनीतिक दलों की स्थिति कमजोर होती दिख रही है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनसीपी और उसके समर्थकों पर हो रही कार्रवाई, पुरानी सत्ता की घबराहट का संकेत है। यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो यह टकराव और गहरा हो सकता है।

बांग्लादेश राजनीतिक बदलाव की दहलीज पर

गोपालगंज की हिंसक घटना यह दर्शाती है कि बांग्लादेश अब राजनीतिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। पुराने राजनीतिक ढांचे और नए छात्र नेतृत्व के बीच संघर्ष अब सतह पर आ चुका है। यदि सरकार और राजनीतिक दल संयम नहीं बरतते, तो देश और भी गहरे संकट में जा सकता है।
अंतरिम सरकार के लिए यह चुनौती है कि वह कानून-व्यवस्था बनाए रखे और सभी राजनीतिक दलों को संवाद और लोकतंत्र के रास्ते पर लाने की पहल करे।

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