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Donald Trump on Russia:डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर दबाव और रूस से अमेरिकी व्यापार का सच: ‘मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता’

Donald Trump on Russia:डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने अमेरिका की नीति को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को ट्रंप ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि अमेरिका रूस से यूरेनियम और उर्वरक जैसी वस्तुएं खरीदता है। यह बयान ऐसे समय में आया जब भारत ने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका द्वारा रूस से तेल खरीद पर की जा रही आलोचनाओं के जवाब में यह खुलासा किया कि खुद अमेरिका रूस के साथ व्यापार कर रहा है।भारत के इस दावे के बाद ट्रंप ने कहा, “मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता। मुझे इसकी जांच करनी होगी।” ट्रंप का यह बयान अमेरिकी नीति में पारदर्शिता और तटस्थता की कमी को उजागर करता है।

100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी

एक रिपोर्ट के अनुसार, जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह रूस से ऊर्जा खरीदने वाले देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, तो उन्होंने कहा, “मैंने कभी प्रतिशत नहीं कहा, लेकिन हम इसका एक बड़ा हिस्सा लगाएंगे। हम देखेंगे कि आगे क्या होता है।” उन्होंने यह भी बताया कि अगले दिन रूस के साथ बैठक प्रस्तावित है।ट्रंप ने इसके साथ ही कहा कि यह युद्ध “बाइडेन का युद्ध” है और वे इससे बाहर निकलने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने हाल के महीनों में पांच युद्धों को रोका है, जिनमें भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित संघर्ष भी शामिल था।

भारत का तीखा पलटवार

भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप की आलोचनाओं का तथ्यात्मक जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि अमेरिका की खुद की कंपनियां रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (परमाणु ऊर्जा के लिए), पैलेडियम (ईवी उद्योग में उपयोगी), उर्वरक और रसायन लगातार खरीद रही हैं। इसके बावजूद अमेरिका भारत पर रूस से तेल व्यापार बंद करने का दबाव बना रहा है।भारत ने यह भी बताया कि ट्रंप द्वारा तेल खरीद को लेकर जो दबाव बनाया जा रहा है, वह “अनुचित और पक्षपातपूर्ण” है। साथ ही भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के आधार पर ही व्यापारिक निर्णय लेता है।

ट्रंप की चेतावनी और संभावित परिणाम

ट्रंप ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर भारत रूस से तेल खरीद जारी रखता है, तो अमेरिका अगले 24 घंटों में अतिरिक्त शुल्क लगा सकता है। यह बयान वैश्विक व्यापार संबंधों में तनाव की आशंका को और गहरा करता है।भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों के लिए यह घटनाक्रम एक बड़ी चुनौती बन सकता है। भारत ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वह अपने हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा, भले ही अमेरिका कितना भी दबाव बनाए।

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