बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तहत कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार को जीत दिलाने में प्रमुख भूमिका भाजपा और जेडीयू की ताकतों के बीच मुकाबले से ज्यादा, राष्ट्रीय नेता तेजस्वी यादव के समर्थन पर निर्भर है। कांग्रेस के समर्थक और स्थानीय कार्यकर्ता इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि तेजस्वी यादव का समर्थन कांग्रेस उम्मीदवार की नैया पार लगाने में मदद करेगा या नहीं।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कुटुंबा सीट पर इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण है। यहां की राजनीतिक लड़ाई केवल पार्टी लाइन पर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत प्रभाव और क्षेत्रीय नेताओं की लोकप्रियता पर आधारित है। राहुल गांधी और कांग्रेस के समर्थक इस सीट पर अपने उम्मीदवार को विजयी बनाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं।
मौजूदा मुकाबले का स्वरूप
जितेंद्र ने स्पष्ट करते हुए कहा कि इस चुनाव में असली टक्कर 10 साल की सत्ता और प्रभारी मंत्री के प्रतिनिधि के बीच है। यह बयान यह दर्शाता है कि कुटुंबा में चुनावी लड़ाई काफी सीधी है। हालांकि, मैदान में कुल 11 प्रत्याशी हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और एनडीए उम्मीदवारों के बीच माना जा रहा है।
कांग्रेस की ओर से दो बार से अपराजेय प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम इस बार एनडीए के उम्मीदवार ललन राम से कड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। राजेश राम की लोकप्रियता और संगठनात्मक मजबूती उनके पक्ष में काम कर सकती है, लेकिन ललन राम का स्थानीय पहचान और राजनीतिक अनुभव भी उन्हें मजबूत दावेदार बनाता है।
तेजस्वी यादव का समर्थन और रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनाव में तेजस्वी यादव का समर्थन निर्णायक हो सकता है। यदि वे खुलकर कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करते हैं, तो यह क्षेत्रीय वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है और कांग्रेस के लिए जीत का मार्ग आसान बना सकता है। वहीं, यदि उनका समर्थन सीमित या अप्रत्यक्ष रहता है, तो मुकाबला और भी कठिन हो जाएगा।
राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी प्रचार और रोडशो शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस ने राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी मैदान में उतारने की योजना बनाई है, ताकि मतदाताओं पर सकारात्मक प्रभाव डाला जा सके। एनडीए भी अपने उम्मीदवार को मजबूत स्थिति में रखने के लिए स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की मदद ले रहा है।
चुनाव का संभावित नतीजा
कुटुंबा सीट पर यह चुनाव केवल पार्टी की जीत-हार का सवाल नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति और स्थानीय नेताओं की पकड़ का भी निर्णायक परीक्षण है। अगर तेजस्वी यादव का समर्थन पूरी तरह से कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में होता है, तो संभावना है कि कांग्रेस इस सीट को अपने कब्जे में रख सके। वहीं, एनडीए का उम्मीदवार भी किसी भी समय मोड़ ला सकता है, क्योंकि उनकी राजनीतिक पकड़ और स्थानीय समर्थन मजबूत है।
इस तरह, कुटुंबा सीट पर बिहार चुनाव 2025 की लड़ाई न केवल कांग्रेस और एनडीए के बीच है, बल्कि यह तेजस्वी यादव और अन्य वरिष्ठ नेताओं के समर्थन पर भी टिकी हुई है। सभी की नजरें इस बात पर हैं कि अंततः कौन इस सियासी जंग में विजयी होगा।

