दिल्ली में हुए लाल किला धमाका मामले की जांच एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। इस मामले में पुलिस को एक लाल रंग की फोर्ड ईको स्पोर्ट कार से जुड़ा अहम सुराग मिला है। जांच के दौरान पता चला कि यह गाड़ी फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर खरीदी गई थी। इसी सुराग के आधार पर दिल्ली पुलिस की एक टीम ने नई सीलमपुर इलाके में छापेमारी की, जहां से कई अहम सबूत मिले हैं।
पुलिस को संदेह है कि इस कार का इस्तेमाल धमाके की साजिश में किया गया था या यह वाहन संदिग्ध लोगों की आवाजाही में सहायक रहा। छापेमारी के दौरान पुलिस ने एक मदरसे के संचालक से पूछताछ की। बताया जा रहा है कि जांच अधिकारियों ने उनका मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया है, ताकि डिजिटल साक्ष्यों का विश्लेषण किया जा सके।
फरीदाबाद में मिली संदिग्ध कार
छानबीन के दौरान पुलिस को वह लाल रंग की फोर्ड ईको स्पोर्ट फरीदाबाद से बरामद हुई। प्रारंभिक जांच में पता चला कि कार की खरीद में उपयोग किए गए दस्तावेज फर्जी हैं और वाहन किसी अन्य नाम से रजिस्टर्ड किया गया था। अब दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा और स्थानीय पुलिस मिलकर यह जांच कर रही है कि आखिर यह गाड़ी किन-किन स्थानों पर गई और किन लोगों ने इसका इस्तेमाल किया।
कार की फॉरेंसिक जांच भी की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि गाड़ी में कोई विस्फोटक सामग्री या संदिग्ध वस्तु तो नहीं रखी गई थी। इसके अलावा पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गाड़ी का लाल किला धमाका केस से सीधा या अप्रत्यक्ष संबंध है या नहीं।
फर्जी पहचान और नेटवर्क की जांच
पुलिस को शक है कि गाड़ी खरीदने के लिए फर्जी पहचान पत्र और बैंक विवरण का इस्तेमाल किया गया। जांच अधिकारी अब उस डीलरशिप और एजेंसी की भी पड़ताल कर रहे हैं, जहां से वाहन खरीदा गया था। अगर दस्तावेजों में हेराफेरी साबित होती है, तो संबंधित कर्मचारियों या एजेंसी मालिकों पर भी कार्रवाई की जा सकती है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “हमें कई अहम डिजिटल सुराग मिले हैं। फोन रिकॉर्ड, बैंक लेनदेन और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हम पूरी साजिश का जाल सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।”
मदरसे से जुड़ी पूछताछ
नई सीलमपुर में जिस मदरसे पर छापा मारा गया, वहां से कुछ दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद हुए हैं। मदरसा संचालक से यह पूछा जा रहा है कि क्या किसी बाहरी व्यक्ति ने हाल ही में वहां शरण ली थी या मदरसे के संसाधनों का इस्तेमाल संदिग्ध गतिविधियों के लिए किया गया था।
पुलिस का कहना है कि पूरी जांच को संवेदनशीलता और कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि किसी निर्दोष व्यक्ति को परेशानी न हो, लेकिन दोषियों को छोड़ा भी न जाए।

