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यूपी को केंद्र बनाकर रचा जा रहा आतंकी हमलों का गहरा षड्यंत्र, कई संदिग्ध गिरफ्तार

देश की राजधानी दिल्ली में हुए हालिया धमाके के बाद देशभर की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां अलर्ट पर हैं। जांच एजेंसियों को शक है कि इस हमले की साजिश केवल दिल्ली तक सीमित नहीं थी, बल्कि उत्तर प्रदेश (यूपी) को केंद्र बनाकर एक बड़े आतंकी नेटवर्क की योजना रची जा रही थी। इस नेटवर्क के तार जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, गुजरात और तेलंगाना (हैदराबाद) तक फैले होने की आशंका जताई जा रही है।

सहारनपुर से शुरू हुई जांच की कड़ी

जांच की शुरुआत तब हुई जब सहारनपुर में जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन वाले पोस्टर लगाए जाने का मामला सामने आया। इस मामले में पुलिस ने जम्मू-कश्मीर निवासी डॉ. आदिल अहमद को गिरफ्तार किया। शुरुआती पूछताछ में आदिल अहमद ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए, जिससे जांच एजेंसियों को पता चला कि यह कोई सामान्य घटना नहीं थी, बल्कि एक बड़ी आतंकी साजिश की तैयारी थी।

लखनऊ और फरीदाबाद में भी गिरफ्तारी

सहारनपुर में गिरफ्तारी के बाद जांच का दायरा बढ़ाया गया। एजेंसियों ने फरीदाबाद से जम्मू-कश्मीर निवासी डॉ. मुजम्मिल और लखनऊ निवासी डॉ. शाहीन को हिरासत में लिया। इन तीनों व्यक्तियों से पूछताछ के बाद कई नए तथ्य सामने आए, जिनसे यह संकेत मिला कि वे एक संगठित नेटवर्क के जरिए विभिन्न राज्यों में युवाओं को भड़काने और आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहे थे।

गुजरात में हथियार और केमिकल सप्लाई की साजिश

इस बीच, गुजरात में हैदराबाद निवासी आतंकी अहमद मोहियुद्दीन सैयद से जुड़े एक मामले में दो और गिरफ्तारियाँ हुईं। इनमें कैराना निवासी आजाद सुलेमान शेख और लखीमपुर खीरी निवासी मु. सुहैल शामिल हैं। ये दोनों व्यक्ति कथित रूप से अहमद मोहियुद्दीन को हथियार और केमिकल की सप्लाई करने गए थे। सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि ये सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए प्रयोग की जानी थी।

एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई

दिल्ली धमाके के बाद अब एनआईए, आईबी, एटीएस और दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा मिलकर इस पूरे नेटवर्क की तहकीकात कर रही हैं। एजेंसियां यह समझने की कोशिश कर रही हैं कि इन सभी गिरफ्तार लोगों के बीच क्या संबंध है और क्या वे किसी एक बड़े संगठन के इशारे पर काम कर रहे थे। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि संदिग्धों के बीच एन्क्रिप्टेड चैटिंग एप्स के जरिए लगातार संपर्क बना हुआ था।

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