Aditya Birla Group: आभूषणों की खुदरा बिक्री का कारोबार कड़ी प्रतिस्पर्धा का गवाह बनने वाला है। इस सेगमेंट में पहले से टाटा और अंबानी जैसे दिग्गज मौजूद हैं। अब देश के प्रमुख कारोबारी घरानों में से एक, आदित्य बिड़ला समूह, ने भी ब्रांडेड रिटेल ज्वेलरी बिजनेस में प्रवेश किया है। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में आभूषण व्यवसाय में बिड़ला की टक्कर टाटा और अंबानी के साथ होने वाली है।
इंद्रीय ब्रांड नाम से बेचेंगे आभूषण
कुमार मंगलम बिड़ला की अगुवाई वाले आदित्य बिड़ला समूह ने शुक्रवार को ‘इंद्रीय’ नाम से ज्वेलरी के नए रिटेल ब्रांड की शुरुआत की। इस तरह आदित्य बिड़ला समूह के टेलीकॉम से शर्ट-पैंट तक के कारोबार में अब आभूषणों का नाम भी दर्ज हो गया है। आदित्य बिड़ला समूह की प्रमुख कंपनियों में देश की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक से लेकर प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटर वोडाफोन आइडिया के नाम शामिल हैं। समूह की फाइनेंशियल सर्विसेज और फैशन जैसे बिजनेस में भी मजबूत उपस्थिति है।
इन बड़े ब्रांड के साथ होगी टक्कर
बिड़ला समूह ने ब्रांडेड ज्वेलरी के रिटेल बिजनेस में ऐसे समय कदम रखा है, जब देश में अनब्रांडेड आभूषणों की तुलना में ब्रांडेड आभूषणों का आकर्षण बढ़ा है। ग्राहकों का एक बड़ा हिस्सा अब पारंपरिक सर्राफा दुकानों के बजाय ब्रांडेड आभूषणों को खरीदना पसंद कर रहा है। इस सेगमेंट में पहले से मौजूद कई दिग्गजों से बिड़ला की सीधी टक्कर होने वाली है। तनिष्क ब्रांड के जरिए टाटा समूह, रिलायंस जेवेल्स के माध्यम से रिलायंस समूह, और कल्याण ज्वेलर्स, जोयालुक्कास, मालाबार आदि जैसे ब्रांड इस सेगमेंट में पहले से हैं।
समूह ने अलग किए 5 हजार करोड़
आदित्य बिड़ला समूह ने ब्रांडेड ज्वेलरी के बिजनेस के लिए एक नई कंपनी बनाई है, जिसे नोवेल जेवेल्स नाम दिया गया है। समूह ने ज्वेलरी बिजनेस के लिए 5 हजार करोड़ रुपये निवेश करने की योजना तैयार की है। भारत में आभूषणों के बाजार का आकार लगभग 6.7 लाख करोड़ रुपये का बताया जाता है।
टॉप-3 ब्रांड में एक बनने का लक्ष्य
कुमार मंगलम बिड़ला ने अपने समूह के ज्वेलरी ब्रांड इंद्रीय की लॉन्चिंग के मौके पर कहा कि इस ब्रांड को अगले पांच साल में देश के टॉप-3 ज्वेलरी ब्रांड में से एक बनाना उनका लक्ष्य है। कुमार मंगलम बिड़ला, जो आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन हैं, ने बताया कि अभी उनके समूह का लगभग 20 फीसदी राजस्व कंज्युमर बिजनेस से आ रहा है। उन्हें अगले पांच साल में यह आंकड़ा 25 फीसदी से ज्यादा हो जाने और 25 बिलियन डॉलर के करीब पहुंच जाने की उम्मीद है।