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टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद रोहित ने पहली बार तोड़ी चुप्पी.. कहां- मेरे पिता का सपना था”

Rohit Sharma on his Retirement: भारतीय क्रिकेट के सीनियर बल्लेबाज़ और पूर्व टेस्ट कप्तान रोहित शर्मा ने जब 7 मई 2025 को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की, तो यह फैसला हर किसी के लिए अप्रत्याशित था। इंग्लैंड दौरे से पहले उन्हें टीम का नेतृत्व करने का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उनके इस अचानक कदम से न केवल प्रशंसक बल्कि विशेषज्ञ भी हैरान रह गए।अब, अपने फैसले के बाद पहली बार रोहित ने सार्वजनिक रूप से इस पर प्रतिक्रिया दी है और बताया है कि उनके पिता गुरुनाथ शर्मा इस निर्णय से कैसे प्रभावित हुए।

“मेरे पिता को टी20 पसंद नहीं, वो टेस्ट के दीवाने हैं”

मुंबई में आयोजित एक किताब विमोचन कार्यक्रम में रोहित ने अपने दिल की बात साझा की। चेतेश्वर पुजारा की पत्नी पूजा पुजारा की किताब ‘द डायरी ऑफ ए क्रिकेटर वाइफ’ के लॉन्च पर रोहित ने बताया,”मेरे पिता को टेस्ट क्रिकेट बेहद पसंद है। वह टी20 या आधुनिक क्रिकेट के फैन नहीं हैं। जब मैंने एकदिवसीय मैच में 264 रन बनाए थे, तो उन्होंने बस इतना कहा— ‘ठीक है, अच्छा खेला।’ लेकिन अगर मैं टेस्ट में 30 या 40 रन भी बनाता, तो वह उस पर लंबी चर्चा करते थे।”उनके इस बयान से साफ होता है कि टेस्ट क्रिकेट उनके और उनके पिता के बीच एक भावनात्मक पुल रहा है, न कि सिर्फ एक फॉर्मेट।”पिता ने मेरे क्रिकेट सफर में बहुत कुछ कुर्बान किया”रोहित ने यह भी बताया कि उनके पिता एक साधारण ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते थे, लेकिन उन्होंने अपने बेटे के क्रिकेट करियर के लिए बहुत कुछ बलिदान दिया।”पापा ने स्कूल से लेकर अंडर-19, रणजी ट्रॉफी, इंडिया-ए तक मेरी हर पारी को जिया है। रेड बॉल से खेलते हुए मुझे बड़ा होते देखा है।”उन्होंने कहा कि जब उन्होंने रिटायरमेंट की घोषणा की, तो उनके पिता थोड़े नाराज़ जरूर थे, लेकिन उन्हें गर्व भी महसूस हुआ। यह एक बेटे की ओर से सच्ची और भावनात्मक स्वीकारोक्ति थी।

  • संन्यास की वजह?

टेस्ट क्रिकेट में रोहित का हालिया प्रदर्शन न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में कुछ खास नहीं रहा था। भारत को इन दोनों श्रृंखलाओं में हार का सामना करना पड़ा, और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेले गए अंतिम टेस्ट से रोहित बाहर भी हो गए थे। इसके बाद से ही उनके संन्यास की अटकलें लगाई जा रही थीं।
हालांकि, उस समय उन्होंने कहा था कि “मैं कहीं नहीं जा रहा”, और घरेलू क्रिकेट में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। लेकिन अंततः परिस्थितियों और शरीर की सीमाओं को देखते हुए उन्होंने लाल गेंद से विदाई लेने का फैसला कर लिया।

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