Akhilesh Yadav and Azam Khan: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और रामपुर से पूर्व विधायक आज़म खां ने शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाकात की। यह मुलाकात बीते 30 दिनों में दूसरी बार हुई है। दोनों नेताओं की बैठक ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए सियासी संकेत दे दिए हैं। मुलाकात भले ही औपचारिक बताई जा रही हो, लेकिन इसके पीछे के राजनीतिक मायने और संभावित रणनीति पर चर्चाएँ जोरों पर हैं।
मुलाकात का एजेंडा गोपनीय, अटकलों का दौर तेज
सूत्रों के अनुसार, इस मुलाकात के एजेंडे का आधिकारिक खुलासा नहीं किया गया है। सपा के भीतर मचे मौजूदा असंतोष, संगठनात्मक बदलाव और आगामी उपचुनावों की रणनीति जैसे मुद्दे इस चर्चा का हिस्सा हो सकते हैं। हालांकि, दोनों नेताओं ने मीडिया से बातचीत में किसी भी स्पष्ट मुद्दे पर कुछ नहीं कहा।
मुलाकात के बाद आज़म खां ने मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में कहा,“अखिलेश से क्या बात हुई, मैं नहीं बताऊंगा। इतना जुल्म सहने के बाद भी जिंदा हूं।”
उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। यह वाक्य न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष की झलक देता है, बल्कि पार्टी नेतृत्व से उनकी दूरी और असंतोष की ओर भी संकेत करता है।
पिछले कुछ समय से बढ़ी सपा में अंदरूनी खींचतान
आज़म खां सपा के संस्थापक नेताओं में से एक रहे हैं और लंबे समय से पार्टी के मजबूत स्तंभ माने जाते हैं। मगर पिछले कुछ वर्षों में उनके और सपा नेतृत्व के बीच दूरी देखने को मिली है। रामपुर से जुड़े मामलों में उन्हें कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ा, जिसके दौरान सपा की ओर से अपेक्षित समर्थन न मिलने की शिकायतें उनके समर्थक बार-बार करते रहे हैं।
अखिलेश यादव ने पहले भी कहा था कि पार्टी आज़म खां के सम्मान को बरकरार रखेगी, लेकिन व्यावहारिक राजनीति में दोनों के बीच संबंध उतने सहज नहीं दिखे। ऐसे में यह मुलाकात पार्टी की अंदरूनी खामोशी में कुछ हलचल लाने वाली मानी जा रही है।
सियासी संकेत और संभावित रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक केवल एक औपचारिक भेंट नहीं थी। उत्तर प्रदेश में बदलते राजनीतिक समीकरणों, मुस्लिम वोट बैंक के पुनर्संयोजन और आगामी विधानसभा व लोकसभा उपचुनावों के संदर्भ में यह मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है।
आज़म खां के राजनीतिक अनुभव और उनके क्षेत्र में प्रभाव को देखते हुए सपा नेतृत्व उन्हें फिर से सक्रिय भूमिका देने की तैयारी कर सकता है। वहीं, अखिलेश यादव भी पार्टी के भीतर पुराने नेताओं को साथ लेकर संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हैं।
सपा में समीकरणों का नया दौर
लखनऊ में हुई यह बैठक सपा के भीतर रिश्तों के पुनर्गठन का संकेत मानी जा रही है। पिछले कुछ समय से सपा में नए और पुराने नेताओं के बीच तालमेल को लेकर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव और आज़म खां की बार-बार होती मुलाकातें यह बताती हैं कि पार्टी नेतृत्व पुराने सिपहसालारों को साथ लेकर आगे की राजनीतिक राह तय करना चाहता है।
भले ही दोनों नेताओं ने बातचीत का ब्यौरा साझा नहीं किया हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस मुलाकात ने सपा की राजनीति में नई चर्चा और उम्मीदों का माहौल बना दिया है। आने वाले दिनों में इसका असर संगठनात्मक फैसलों और राजनीतिक रणनीति में दिखाई दे सकता है।

