Akhilesh yadav News: सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर भाजपा और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की आड़ में बड़े पैमाने पर वोट काटे जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया लोकतंत्र के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश के तहत चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य विपक्षी वोटों को कमजोर करना है।
एसआईआर के नाम पर एनआरसी लागू
तेलंगाना दौरे के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में लगभग तीन करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं। उनका दावा है कि जिन क्षेत्रों में भाजपा पिछली बार चुनाव हारी थी, उन्हीं इलाकों में वोट काटने की मुहिम तेज की गई है। सपा प्रमुख ने इसे सीधे-सीधे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताते हुए कहा कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया जिस तरह चलाई जा रही है, वह एसआईआर के नाम पर एनआरसी लागू करने की तरह है।
हैदराबाद पहुंचकर आगामी विज़न इंडिया समिट की तैयारियों की समीक्षा करते हुए अखिलेश ने कहा कि देश में आज आम लोगों को हर स्तर पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसी संदर्भ में उन्होंने अपने विजन इंडिया अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पहल का मकसद राजनीतिक विभाजन नहीं बल्कि देश के विकास और समस्याओं के समाधान पर गंभीर चर्चा को बढ़ावा देना है। वे मानते हैं कि देश को एक स्पष्ट विकास दृष्टि की जरूरत है, न कि उन नीतियों की, जो लोगों को बांटने का काम करें।
प्रक्रिया में मान्यता नहीं दी जा रही
अखिलेश यादव ने एसआईआर प्रक्रिया पर अपना रुख दोहराते हुए कहा कि भाजपा सरकार लोगों से कागज़ मांगकर उन्हें परेशान कर रही है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आधार कार्ड, जो कि लोगों की संपूर्ण जानकारी का आधिकारिक दस्तावेज है, उसे भी इस प्रक्रिया में मान्यता नहीं दी जा रही है। उनका कहना है कि यदि लोगों के पास आधार जैसी पहचान होने के बावजूद उनके वोटों को संदेह के आधार पर हटाया जा सकता है, तो फिर लोकतंत्र का मूल अधिकार ही खतरे में पड़ जाएगा।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब नागरिकों को वोट डालने का अधिकार ही नहीं मिलेगा, तो लोकतंत्र का स्वरूप और स्वर कैसे सुरक्षित रह पाएगा। अखिलेश ने इसे आम लोगों के अधिकारों पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि मतदाता सूची से नाम हटाना किसी भी हालत में स्वीकार योग्य नहीं है, खासकर तब, जब यह प्रक्रिया पारदर्शी न हो और एकतरफा लगे। उनके अनुसार, यह कदम राजनीतिक लाभ के लिए उठाया जा रहा है, जिसका मुख्य लक्ष्य विपक्षी दलों के वोटबैंक को कमजोर करना है।

