You are currently viewing रक्षाबंधन से पहले थमी अमरनाथ यात्रा, जानिए प्रशासन को क्यों लेना पड़ा अचानक फैसला
Amarnath Yatra 2025

रक्षाबंधन से पहले थमी अमरनाथ यात्रा, जानिए प्रशासन को क्यों लेना पड़ा अचानक फैसला

Amarnath Yatra 2025: इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा 2025 को निर्धारित समय से लगभग एक सप्ताह पहले ही स्थगित कर दिया गया है। हर साल रक्षाबंधन के दिन यात्रा का समापन होता है, जो इस बार 9 अगस्त को तय था, लेकिन प्रशासन ने तीन दिन पहले ही यात्रा रोकने का निर्णय लिया। इसका कारण बना जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही भारी बारिश और यात्रा मार्गों की खतरनाक स्थिति।प्रशासन के मुताबिक, मौसम की प्रतिकूलता और बालटाल तथा पहलगाम दोनों पारंपरिक मार्गों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। ऐसे में तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए यह कठिन लेकिन ज़रूरी निर्णय लिया गया।

बारिश ने बिगाड़ी यात्रा की गति, मार्गों की हालत बेहद खराब

कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिधूड़ी ने जानकारी दी कि पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश से पहाड़ी क्षेत्र में भूस्खलन और पटरियों के क्षतिग्रस्त होने की घटनाएं सामने आई हैं। इससे यात्रा मार्ग तीर्थयात्रियों के लिए पूरी तरह असुरक्षित हो गए हैं।उन्होंने स्पष्ट किया कि मार्गों की तत्काल मरम्मत और मशीनरी की तैनाती की आवश्यकता है, और ऐसी स्थिति में यात्रा को जारी रखना संभव नहीं था। शनिवार को अधिकारियों ने ऐलान कर दिया कि यात्रा अब बालटाल और पहलगाम, दोनों मार्गों से पुनः शुरू नहीं की जाएगी।

चार लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, फिर भी अधूरी रही यात्रा

श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अनुसार, इस वर्ष लगभग 4 लाख तीर्थयात्रियों ने अब तक पवित्र अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन कर लिए हैं। हालांकि, प्रशासन ने यह भी स्वीकार किया कि पिछले सप्ताह तीर्थयात्रियों की संख्या में तेज़ गिरावट देखी गई थी, जो मौसम की खराबी का सीधा असर है।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

2025 की अमरनाथ यात्रा सुरक्षा की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रही। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने यात्रा की सुरक्षा के लिए 600 से अधिक अर्धसैनिक बलों की कंपनियों को अतिरिक्त रूप से तैनात किया।श्रद्धालुओं को जम्मू से आधार शिविरों तक विशेष काफिलों में लाया गया और यात्रा मार्गों पर आम नागरिकों की आवाजाही रोक दी गई। इसके बावजूद, प्राकृतिक आपदाओं और खराब मौसम के कारण यात्रा को समय से पहले रोकना पड़ा।

अमरनाथ यात्रा का सांस्कृतिक महत्व और स्थानीय सहभागिता

1850 के दशक में मुस्लिम चरवाहे बोटा मलिक द्वारा खोजी गई अमरनाथ गुफा आज भी सांप्रदायिक सौहार्द और कश्मीर की गंगा-जमुनी संस्कृति की प्रतीक मानी जाती है।स्थानीय निवासियों का कहना है कि अब सिर्फ वही लोग यात्रा से जुड़े हैं जो टट्टू सेवा, डोली सेवा या सामान ढोने जैसे कार्य करते हैं। ये स्थानीय लोग आज भी श्रद्धालुओं से सीधे संपर्क में रहते हैं और तीर्थ यात्रा के अनुभव को सहज बनाते हैं।

Spread the love

Leave a Reply