TRF Terrorist Organisation :अमेरिका ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की सहयोगी इकाई द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को शुक्रवार को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) घोषित कर दिया है। इसके साथ ही, TRF को विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) की सूची में भी शामिल किया गया है। अमेरिका की यह कड़ी कार्रवाई अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद की गई है, जिसकी जिम्मेदारी TRF ने ली थी।
पहलगाम में हुआ था बड़ा आतंकी हमला, 26 लोगों की गई थी जान
22 अप्रैल 2024 को हुए इस भीषण आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। यह हमला कश्मीर के शांत क्षेत्र पहलगाम में हुआ था और इसकी जिम्मेदारी TRF ने सोशल मीडिया के जरिए ली थी। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया था।
TRF: आतंकवाद का नया चेहरा
The Resistance Front (TRF) को लश्कर-ए-तैयबा की आधुनिक और छद्म शाखा माना जाता है। यह संगठन आतंकवाद को नए नाम और पहचान के साथ अंजाम देता है ताकि वैश्विक नजर से बचा जा सके। TRF को कश्मीर में स्थानीय विद्रोह की छवि देने की कोशिश की जाती रही है, लेकिन इसके पीछे लश्कर की ही रणनीति मानी जाती है।TRF की स्थापना हाल के वर्षों में हुई थी और इसे भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देने, भर्ती करने, और विदेशी फंडिंग प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। इस संगठन के जरिये लश्कर-ए-तैयबा भारत पर अपना आतंकी एजेंडा थोपने की कोशिश कर रहा है।
लश्कर-ए-तैयबा और 26/11 का कनेक्शन
लश्कर-ए-तैयबा भारत का सबसे कुख्यात आतंकी संगठन है, जिसने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। उस हमले में 160 से अधिक लोगों की जान गई थी और अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था। TRF इसी संगठन की नई डिजिटल और सोशल मीडिया आधारित शाखा है, जो आज के दौर में आतंकवाद को नया रूप दे रही है।
अमेरिका की कार्रवाई का असर
अमेरिका द्वारा TRF को आतंकवादी संगठन घोषित करने से इस पर कई प्रकार की पाबंदियाँ लग जाएँगी। अब इस संगठन की आर्थिक संपत्तियाँ जब्त की जाएंगी, इसकी अंतरराष्ट्रीय फंडिंग रोकी जाएगी, और इससे जुड़े व्यक्तियों को वैश्विक स्तर पर ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।यह कदम भारत के लिए कूटनीतिक जीत है क्योंकि वह लंबे समय से TRF और इसके जैसे संगठनों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग कर रहा था। अमेरिका की यह घोषणा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान पर दबाव बनाने की दिशा में भी एक मजबूत संदेश है।