US Sanctions Indian Companies:अमेरिका और भारत के बीच संबंधों में नया मोड़ उस वक्त आया जब अमेरिकी सरकार ने भारत की छह पेट्रोलियम कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। यह कार्रवाई उन कंपनियों पर की गई है, जो अमेरिका के मुताबिक, ईरान से तेल आयात कर रही थीं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा कि यह कदम ईरान को मिलने वाली आर्थिक मदद को रोकने के लिए उठाया गया है।
ईरान के खिलाफ अमेरिका की सख्त नीति
अमेरिका लंबे समय से ईरान पर आतंकवाद को समर्थन देने और मध्य पूर्व में अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाता रहा है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ईरान की सरकार अपने तेल कारोबार से जो पैसा कमाती है, उसका इस्तेमाल क्षेत्रीय संघर्षों को बढ़ावा देने और चरमपंथी संगठनों को फंड देने में करती है।मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा,”ईरान अपनी कमाई का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों और अपने ही लोगों पर अत्याचार करने के लिए करता है। अमेरिका इस राजस्व स्रोत को रोकना चाहता है ताकि ईरान की नकारात्मक गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके।”
प्रतिबंधित भारतीय कंपनियां कौन-कौन?
हालांकि अभी तक इन छह कंपनियों के नाम आधिकारिक रूप से सामने नहीं आए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि ये भारत की तेल-गैस के क्षेत्र की कुछ प्रमुख निजी और सार्वजनिक कंपनियां हो सकती हैं। अमेरिका की यह कार्रवाई वैश्विक स्तर पर ऊर्जा व्यापार को प्रभावित कर सकती है और भारत-अमेरिका आर्थिक रिश्तों में अस्थिरता ला सकती है।
भारत पर प्रभाव और संभावित प्रतिक्रिया
इस कदम से भारत को कई स्तरों पर नुकसान हो सकता है।
एक ओर जहां यह निर्णय तेल आपूर्ति और कीमतों को प्रभावित करेगा,
वहीं दूसरी ओर भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और रणनीतिक स्वतंत्रता पर भी असर डाल सकता है।
भारत सरकार की ओर से अब तक इस विषय पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कूटनीतिक हलकों में हलचल जरूर देखी जा रही है। यह देखना बाकी है कि भारत इस निर्णय पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या वह ईरान से अपने व्यापारिक रिश्तों की समीक्षा करेगा।
ट्रंप प्रशासन की ईरान नीति का विस्तार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार पहले ही ईरान के खिलाफ कई कड़े प्रतिबंध लागू कर चुकी है। परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने के बाद से ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर दबाव बढ़ाने के लिए कई तरह की आर्थिक और राजनीतिक रणनीतियां अपनाई हैं। भारत की कंपनियों पर प्रतिबंध उसी नीति का विस्तार मानी जा रही है।