Rabindranath Tagore: बांग्लादेश में सांप्रदायिक और सांस्कृतिक असहिष्णुता का नया उदाहरण सामने आया है। नोबेल पुरस्कार विजेता कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक निवास, कचहरीबाड़ी, पर भीड़ ने हमला कर दिया। यह ऐतिहासिक स्थल सिराजगंज जिले में स्थित है, जहां टैगोर ने अपने जीवन की कई प्रसिद्ध काव्य और साहित्यिक रचनाएं की थीं। बताया जा रहा है कि उपद्रवियों ने “टैगोर विरोधी” नारे लगाते हुए इमारत की खिड़कियों, दरवाजों और फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया।
बंगाली अस्मिता और संस्कृति पर सीधा हमला
घटना की तीखी निंदा करते हुए केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इसे सिर्फ एक इमारत पर हमला नहीं, बल्कि बंगाली अस्मिता, कला और स्वतंत्र विचारधारा पर सीधा हमला बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि यह हमला बांग्लादेश की सांस्कृतिक सहिष्णुता पर गहरा प्रश्न है। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि क्या टैगोर अब बांग्लादेश में भी अपराधी माने जा रहे हैं, केवल इसलिए कि वे हिंदू थे?
संबित पात्रा ने जताई कड़ी आपत्ति
भाजपा प्रवक्ता और सांसद संबित पात्रा ने भी इस मामले पर कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि यह हमला न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर पर है, बल्कि यह पूरी बंगाल की सभ्यता, संस्कृति और साहित्यिक पहचान पर चोट है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा इस मुद्दे को गंभीरता और संवेदनशीलता से ले रही है क्योंकि यह रवींद्रनाथ टैगोर जैसे वैश्विक व्यक्तित्व से जुड़ा है।
पूर्व नियोजित हमला, जमात-ए-इस्लामी पर संदेह
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस हमले की पूर्व योजना बनाई गई थी, जो करीब 5–6 दिनों तक चली। हमला पूर्व नियोजित था और इसका उद्देश्य बांग्ला संस्कृति पर गहरा प्रभाव डालना था। संबित पात्रा ने दावा किया कि जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े लोगों ने इस हिंसा को अंजाम दिया।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठ सकता है मुद्दा
यह हमला केवल एक स्थानीय घटना नहीं मानी जा रही, बल्कि अंतरराष्ट्रीय महत्व का विषय बन सकता है क्योंकि रवींद्रनाथ टैगोर सिर्फ भारत या बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सांस्कृतिक संपत्ति हैं। विशेषज्ञों और विश्लेषकों का मानना है कि इस विषय को जल्द ही सांस्कृतिक संरक्षण और धार्मिक सहिष्णुता के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया जा सकता है।