Azam Khan in Jail: उत्तर प्रदेश की सियासत में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की रिहाई को लेकर नया मोड़ आ गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्वालिटी बार मामले में उन्हें जमानत दे दी थी और इससे उनकी जेल से बाहर आने की उम्मीदें बढ़ गई थीं। हालांकि, 18 सितंबर को रामपुर की स्पेशल एमपी एमएलए फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आजम खान के खिलाफ तीन नई धाराएं जोड़ दी हैं, जिससे उनकी रिहाई प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
क्वालिटी बार मामले में नई धाराओं का जुड़ना
रामपुर पुलिस ने 2020 के शत्रु संपत्ति मामले में मोहम्मद आजम खान के खिलाफ आईपीसी की धाराएं 467 (फर्जी दस्तावेज बनाना), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग) और 201 (सबूत नष्ट करना) बढ़ा दी हैं। इन धाराओं के जुड़ने से आजम खान के जेल से बाहर निकलने का रास्ता फिलहाल कठिन हो गया है। पुलिस ने बताया है कि क्वालिटी बार मामले में जमानत मिलने के बावजूद जब तक जेल से रिहाई का परवाना नहीं पहुंचता, तब तक वे इस मामले में आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।
वकील का पक्ष और कानूनी प्रक्रिया
आजम खान के अधिवक्ता मोहम्मद खालिद ने हाईकोर्ट में बताया कि जमानत के फैसले के दस्तावेजों के अपलोड होने और जेल से रिहाई के आदेश मिलने में दो-तीन दिन का समय लग सकता है। इसके बाद ही आजम खान को जेल से बाहर आने की अनुमति मिल सकेगी। उन्होंने यह भी कहा कि आजम खान की पत्नी डॉक्टर तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को भी 2020 में ही जमानत मिल चुकी है। उन्होंने बताया कि आजम खान के खिलाफ लगभग 80 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से सभी में जमानत मिल चुकी है।
कोर्ट ने किया जमानत मंजूर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 अगस्त को दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद आजम खान की जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित रखा था। इस मामले में अधिवक्ताओं इमरान उल्ला और मोहम्मद खालिद ने कोर्ट में दलीलें पेश की थीं। 17 मई 2025 को एमपी-एमएलए कोर्ट में जमानत अर्जी खारिज होने के बाद आजम खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिर से जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी।
क्वालिटी बार मामले की पृष्ठभूमि
रामपुर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के हाईवे पर स्थित सईद नगर हरदोई पट्टी में क्वालिटी बार के कब्जे को लेकर 21 नवंबर 2019 को बार स्वामी गगन अरोड़ा की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में तत्कालीन राजस्व निरीक्षक अनंगराज सिंह ने कार्रवाई की थी।
पत्नी और बेटे भी आरोपी
पुलिस ने इस मामले में मोहम्मद आजम खान के अलावा चेयरमैन सैयद जफर अली जाफरी, उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातिमा और बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को भी आरोपी बनाया था। हालांकि बाद में यह साबित नहीं हो पाया कि आजम खान ने अपने राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग किया।
अब तक की कानूनी लड़ाई और जमानतें
अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में सफल नहीं हो पाया, जिसके कारण कोर्ट ने आजम खान की जमानत मंजूर कर दी। इससे पहले 10 सितंबर 2025 को डूंगरपुर में बस्ती कब्जाने के मामले में भी उन्हें कोर्ट से जमानत मिल चुकी है।

