Chandigarh Mayor Election 2025:चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में बीजेपी को बड़ी सफलता मिली है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी के उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला ने इस चुनाव में विजय प्राप्त की है। इस चुनाव में जहां बीजेपी को कुल 19 वोट मिले, वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कुछ पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
चुनाव में बीजेपी को मिली बहुमत की जीत
चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 36 वोट पड़े थे, जिनमें से बीजेपी के 16 पार्षद थे। इस चुनाव में बहुमत का आंकड़ा 19 वोट था, जो बीजेपी ने हासिल किया। हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) के 13 पार्षद और कांग्रेस के 6 पार्षदों ने मिलकर एक गठबंधन बनाया था, जिसे उम्मीद थी कि वे मेयर चुनाव में जीत सकते हैं। लेकिन इन दोनों दलों के कुछ पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की, जिससे बीजेपी को अप्रत्याशित रूप से जीत मिल गई।
क्रॉस वोटिंग करना था बड़ा कारण
आप और कांग्रेस के गठबंधन के पास मेयर चुनाव में बहुमत था, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी की उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला को जीत मिली। कुल 35 पार्षद सदन में थे और इसके अलावा चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी का भी एक वोट था। सूत्रों के मुताबिक, आप और कांग्रेस के तीन पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की, जिसकी वजह से बीजेपी को बहुमत मिला और वह चुनाव जीतने में सफल रही।
चंडीगढ़ में मेयर चुनाव में पिछले साल भी हुआ था विवाद
यह पहली बार नहीं है जब चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में विवाद हुआ हो। पिछले साल भी चुनाव के परिणाम को लेकर काफी हंगामा हुआ था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। 20 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव अधिकारी अनिल मसीह के आचरण पर कड़ी टिप्पणी की थी और चुनाव परिणाम को पलट दिया था। चुनाव अधिकारी ने आप और कांग्रेस के आठ वोटों को रद्द कर दिया था, जिससे बीजेपी के उम्मीदवार को जीत मिल गई थी।हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को मेयर घोषित किया था। कोर्ट ने माना था कि कुलदीप कुमार को मिले 8 वोटों को गलत तरीके से अमान्य करार दिया गया था, इसलिए उसे फिर से मान्यता दी गई और परिणाम बदले गए।
अब क्या होगा?
चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में हुई इस घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। बीजेपी की जीत के बाद अब सभी की नजर इस बात पर है कि आप और कांग्रेस इस मामले में किस रणनीति को अपनाते हैं। क्या वे इस क्रॉस वोटिंग के कारण अपनी प्रतिष्ठा को बचा पाएंगे या चुनावी समीकरणों में कोई बड़ा बदलाव होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।