Bihar Cabinet 2025: बिहार में एनडीए सरकार के नए मंत्रिमंडल ने एक बड़े राजनीतिक बदलाव के साथ शपथ ली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में कुल 26 मंत्रियों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण की, जिसमें कई महत्वपूर्ण चेहरे शामिल हैं। इस नए मंत्रिमंडल की सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इसमें 10 नए चेहरों को शामिल किया गया है, जबकि पिछली सरकार के 19 मंत्रियों को इस बार कैबिनेट में स्थान नहीं मिल पाया है।
जदयू और भाजपा का संतुलन—पुरानों पर भरोसा, नए को मौका
नई कैबिनेट के गठन में जदयू और भाजपा के बीच संतुलन साधने की कोशिश साफ दिखाई देती है।
जदयू (JDU) ने अपने सभी पुराने मंत्रियों को बरकरार रखा है। यह पार्टी की स्थिरता और संगठन के भीतर निरंतरता को दर्शाता है।
दूसरी ओर भाजपा (BJP) ने इस बार सात नए चेहरों पर दांव लगाया है। यह संकेत है कि पार्टी नई ऊर्जा के साथ कैबिनेट में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
इसके अलावा लोजपा-रा और रालोमो से भी नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि एनडीए गठबंधन अपने सभी सहयोगी दलों को प्रतिनिधित्व देने की दिशा में संतुलित रणनीति अपना रहा है।
19 पुराने मंत्रियों को नहीं मिली जगह—भविष्य में है संभावना
पिछली एनडीए सरकार में शामिल रहे 19 मंत्रियों को इस बार नए मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला है। इनमें कई ऐसे नाम भी हैं जो लंबे समय से सरकार का हिस्सा रहे थे। हालांकि, राजनीतिक संकेत बताते हैं कि यह पूरी तरह से अंतिम फैसला नहीं है। आने वाले वक्त में होने वाले संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में इन मंत्रियों की वापसी की संभावना बनी हुई है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि मंत्री पदों को लेकर गठबंधन में अभी भी कई समीकरण बनने बाकी हैं।
अभी भी नौ पदों की खाली जगह—मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएँ
संविधान के अनुसार बिहार में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 36 मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। फिलहाल केवल 27 मंत्री ही शपथ ले चुके हैं, यानी अभी भी नौ पद खाली हैं। यह स्थिति सरकार को भविष्य में राजनीतिक संतुलन बनाने, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व बढ़ाने और दलगत समीकरण मजबूत करने में अवसर प्रदान करती है।
नई कैबिनेट से अपेक्षाएँ
नई कैबिनेट के गठन के बाद जनता की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। नए मंत्रियों से ताजगी, ऊर्जा और नए विचारों की उम्मीद की जा रही है। वहीं, पुराने और अनुभवी मंत्रियों के अनुभव से शासन में स्थिरता आने की संभावना है।
एनडीए सरकार के इस नए स्वरूप से आने वाले दिनों में बिहार की राजनीतिक तस्वीर और प्रशासनिक व्यवस्था दोनों में बदलाव देखने की उम्मीद है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कैबिनेट विस्तार में कौन से नए चेहरे या पुराने मंत्री फिर से शामिल किए जाते हैं और राजनीतिक समीकरण किस दिशा में जाते हैं।

