Kolkata Medical College: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या के मामले में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। त्रिवेदी ने कहा कि ममता बनर्जी ने जांच को गुमराह करने और सबूतों को नष्ट करने के प्रयास किए हैं। इसके साथ ही, अब डॉक्टरों को धमकाने की रणनीति अपनाई जा रही है।
ममता बनर्जी पर डॉक्टरों को धमकाने का आरोप
सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉक्टरों को धमकाया। त्रिवेदी ने कहा कि बनर्जी ने यह भी कहा कि वे नहीं चाहतीं कि प्राथमिकी दर्ज की जाए और डॉक्टरों को विदेश यात्रा में कोई परेशानी हो। भाजपा ने इस बयान को डॉक्टरों को प्रताड़ित करने की कोशिश के रूप में देखा है और कहा है कि यह सीधे तौर पर धमकी देने का मामला है।
सुकांत मजूमदार ने केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखा
इस बीच, पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। इस पत्र में मजूमदार ने ममता बनर्जी के हालिया बयानों का उल्लेख किया और उन्हें कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि बनर्जी ने टीएमसी की छात्र शाखा को संबोधित करते हुए बदले की राजनीति का समर्थन किया और कहा, “मैंने कभी बदला नहीं चाहा, लेकिन अब जो करना है, वो करो।” मजूमदार ने केंद्रीय गृहमंत्री से इस मुद्दे पर त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की अपील की है, ताकि पश्चिम बंगाल में नागरिकों के हितों की रक्षा की जा सके और संविधानिक मूल्यों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
विरोध प्रदर्शनों का बढ़ता दबाव
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज होते जा रहे हैं। इस मुद्दे पर उठ रहे राजनीतिक विवाद और आरोपों ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। प्रदर्शनों में शामिल लोग और राजनीतिक दल न्याय की मांग कर रहे हैं और दोषियों को सजा देने की मांग उठा रहे हैं।
भाजपा की आलोचना और प्रतिक्रिया
भाजपा के नेताओं द्वारा उठाए गए आरोपों और मांगों के बीच, ममता बनर्जी और उनकी सरकार पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए। भाजपा ने ममता बनर्जी पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने और विरोधियों को धमकाने का आरोप लगाया है।
इस विवाद के बीच, पश्चिम बंगाल की राजनीतिक स्थिति और सामाजिक माहौल पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है। लोग न्याय की उम्मीद में सड़कों पर उतर आए हैं और इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है।