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बीजेपी ने 2024 के राज्यसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की

Rajya Sabha by-elections: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2024 के राज्यसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों की एक लंबी सूची जारी की है। इस बार पार्टी ने 8 राज्यों की 9 राज्यसभा सीटों के लिए नामों की घोषणा की है। बीजेपी के केंद्रीय चुनाव समिति ने विभिन्न राज्यों में होने वाले आगामी राज्यसभा उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों को मंजूरी दी है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने इन चुनावों की तिथियों की घोषणा कर दी है, जो 3 सितंबर को होंगे।

राज्यवार उम्मीदवारों की नियुक्ति

बीजेपी ने असम, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, त्रिपुरा और तेलंगाना के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है। असम से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली को उम्मीदवार बनाया गया है। बिहार से मनन कुमार मिश्रा को चुना गया है। हरियाणा से किरण चौधरी, मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन, महाराष्ट्र से धैर्यशील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता, राजस्थान से सरदार रवनीत सिंह बिट्टू और त्रिपुरा से राजीव भट्टाचार्जी को उम्मीदवार बनाया गया है। इन नामों के साथ ही यह भी साफ हो गया है कि बीजेपी किस प्रकार से अपनी रणनीति को आगे बढ़ा रही है।

असम, बिहार और अन्य राज्यों में सीटें

महाराष्ट्र और बिहार में 2-2 सीटें खाली हैं, वहीं त्रिपुरा, हरियाणा, राजस्थान, ओडिशा, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में एक-एक सीट खाली है। इन 12 सीटों में से 10 सीटें ऐसे सदस्यों के खाली हुई हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा था। इसके अलावा, ओडिशा और तेलंगाना में राज्यसभा सदस्यों ने पार्टी बदलने के कारण सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

ओडिशा और तेलंगाना की विशेष परिस्थितियाँ

ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजेडी) की सांसद ममता मोहंता ने नवीन पटनायक का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था, जिसके कारण उन्हें राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा। इसी तरह, तेलंगाना में केशव राव ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की, जिसके चलते उन्होंने राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इन परिस्थितियों ने बीजेपी को नए उम्मीदवारों की नियुक्ति की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

फाइनल उम्मीदवारों के बारे में फैंस की उम्मीदें

बीजेपी की ओर से उम्मीदवारों की घोषणा ने चुनावी परिदृश्य को और भी रोचक बना दिया है। पार्टी के निर्णय के बाद फैंस और राजनीतिक विश्लेषक यह देखना चाहते हैं कि ये नए उम्मीदवार किस तरह से चुनावी मुकाबले में अपनी छाप छोड़ते हैं और पार्टी की जीत में योगदान देते हैं। राज्यसभा के उपचुनाव में उम्मीदवारों की भूमिका और उनके चुनावी रणनीतियों को लेकर उत्सुकता बनी हुई है।

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