बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अपने सहयोगी दल इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) पर गंभीर सवाल उठाए हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने इस हार के लिए चौटाला परिवार से जुड़े जाट वोटों में फूट को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिला, जबकि बसपा को नुकसान उठाना पड़ा।
कांग्रेस के गठबंधन पर मायावती का निशाना
मायावती ने देश में आगामी 18वीं लोकसभा चुनावों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन ने संविधान बचाओ और आरक्षण बचाओ जैसे नारों का इस्तेमाल कर विशेषकर SC, ST और OBC समुदाय के लोगों को गुमराह किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन नारों की आड़ में कांग्रेस ने इन समुदायों का वोट बटोर कर अपने गठबंधन को मजबूत किया, जिससे बसपा जैसी पार्टियों को भारी नुकसान हुआ है।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में हार की समीक्षा
मायावती ने कहा कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में बसपा की हार के पीछे कई षड्यंत्र और हथकंडे रहे। उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी पार्टी इन षड्यंत्रों से अपने वोटर्स को बाहर नहीं निकाल पाई, जिससे चुनावों में पार्टी को नुकसान हुआ। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और अपने कैडर के माध्यम से लोगों को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के षड्यंत्रों से सावधान करते रहना जरूरी है।
जाट वोटों में फूट का आरोप
बसपा प्रमुख ने बताया कि हरियाणा चुनाव में जाट समाज का वोट बसपा उम्मीदवारों को नहीं मिला, जबकि दलित वोट पूरी तरह से INLD को ट्रांसफर हुआ। मायावती के मुताबिक, चौटाला परिवार में आपसी फूट के कारण जाट वोटों में बिखराव हुआ और इसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। इस चुनाव में जाट और गैर-जाट वोटों का विभाजन प्रमुख मुद्दा बन गया, जिससे बसपा-इनैलो गठबंधन को भारी नुकसान हुआ।
जाट समुदाय की मानसिकता और भाजपा की जीत
मायावती ने कहा कि हरियाणा के जाट समुदाय ने भाजपा और केंद्र की किसान विरोधी नीतियों के बावजूद, कांग्रेस को समर्थन दिया। उनके अनुसार, चौटाला परिवार की आंतरिक कलह और जाट वोटों के बिखराव के कारण भाजपा ने एक बार फिर सत्ता पर कब्जा कर लिया। वहीं, गैर-जाट वोट भी भाजपा को मिलने से पार्टी की जीत और पक्की हो गई।
मायावती ने इस पर भी ध्यान दिलाया कि उत्तर प्रदेश में बसपा के कारण जाट समुदाय की जातिवादी मानसिकता काफी हद तक बदल गई है, लेकिन हरियाणा में ऐसा नहीं हो पाया है। हरियाणा में दलितों के प्रति जाट समुदाय की मानसिकता अब भी पूरी तरह नहीं बदली है, जिससे बसपा को वहां चुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इस प्रकार, मायावती ने स्पष्ट किया कि हरियाणा चुनाव में उनकी पार्टी को सहयोगी दलों की कमजोरियों और जाट समुदाय के विभाजन का खामियाजा भुगतना पड़ा।