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केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को दी मंजूरी, सीएम योगी ने फैसले का किया स्वागत

केंद्र सरकार ने बुधवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस ऐतिहासिक फैसले पर मुहर लगी। जानकारी के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों को कैबिनेट ने स्वीकार किया है। यह समिति 2 सितंबर 2023 को गठित की गई थी और 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी।

योगी आदित्यनाथ ने किया फैसले का स्वागत

इस फैसले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे लोकतंत्र के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी के यशस्वी नेतृत्व में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का निर्णय राजनीतिक स्थिरता और सतत विकास को सुनिश्चित करेगा। यह देश के लोकतंत्र को और अधिक मजबूत बनाएगा।”

कोविंद समिति की सिफारिशें और जनता के सुझाव

कोविंद समिति ने विभिन्न राजनीतिक दलों, अर्थशास्त्रियों, और अन्य हितधारकों से चर्चा के बाद 18,626 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी। इस प्रक्रिया में 47 राजनीतिक दलों ने भाग लिया, जिसमें से 32 ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। आम जनता की ओर से 21,558 सुझाव प्राप्त हुए थे, जिसमें 80 प्रतिशत लोगों ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का समर्थन किया था।

पहले भी उठी थी एक साथ चुनाव कराने की मांग

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की चर्चा सबसे पहले 1999 में विधि आयोग की 170वीं रिपोर्ट में आई थी। इसके बाद 2015 में संसदीय स्थायी समिति ने भी इस पर जोर दिया। कोविंद समिति ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को दो चरणों में कराने की सिफारिश की है। पहले चरण में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव, और दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाएंगे।

क्रियान्वयन के लिए होगा संविधान संशोधन

इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए एक क्रियान्वयन समूह का गठन किया जाएगा, जो राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों से चर्चा करेगा। इसके बाद संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इसके लिए सरकार आम सहमति बनाने के लिए सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करेगी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि किस चुनाव से इसे लागू किया जाएगा।

विपक्षी दलों का विरोध

समिति में विपक्षी नेताओं अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद भी सदस्य थे, लेकिन उन्होंने बैठकों में भाग नहीं लिया। कांग्रेस पार्टी इस प्रस्ताव का विरोध कर रही है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि संविधान संशोधन के लिए विपक्षी दलों का समर्थन कैसे प्राप्त किया जाएगा।

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