Lateral Entry: केंद्र सरकार ने मंगलवार को लेटरल एंट्री (Lateral Entry) के विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखकर इस पर रोक लगाने का आदेश दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापनों पर यह निर्णय लिया गया है, जो कि एक महत्वपूर्ण बदलाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। राहुल गांधी ने कहा कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था की रक्षा की जाएगी और भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को नाकाम किया जाएगा। उन्होंने अपनी टिप्पणी में यह भी स्पष्ट किया कि आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को तोड़कर जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जाएगा, और इस प्रक्रिया में वे किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे।
भाजपा का पलटवार
राहुल गांधी की टिप्पणी पर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने पलटवार किया है। त्रिवेदी ने कहा कि राहुल गांधी और उनके परिवार की आरक्षण के मुद्दे पर ‘खानदानी विरासत’ और अज्ञानता को कोई छिपा नहीं सकता। उन्होंने यह भी पूछा कि भाजपा के कैबिनेट सचिवों की नियुक्ति के समय, जब राहुल गांधी की पार्टी और उनके पिता की सरकार थी, तब OBC को आरक्षण क्यों नहीं दिया गया।
सरकार का बयान
केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को लिखे पत्र में कहा कि लेटरल एंट्री के फैसले का व्यापक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। सरकार का मानना है कि सार्वजनिक नौकरियों में आरक्षण के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि इन विशेष पदों पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है और इसकी समीक्षा तथा जरूरत के अनुसार सुधार की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री मोदी का फोकस सामाजिक न्याय की ओर है।
अश्विनी वैष्णव का बयान
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एनडीए सरकार ने लेटरल एंट्री को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका अपनाया है। यूपीएससी के माध्यम से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्तियां की जाएंगी, जिससे प्रशासन में सुधार होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि लेटरल एंट्री के माध्यम से नियुक्तियों की प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायपूर्ण बनाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
भाजपा का इतिहास संदर्भ
भाजपा ने कहा कि लेटरल एंट्री का प्रस्ताव कांग्रेस शासन के दौरान लाया गया था। कांग्रेस शासन में मनमोहन सिंह, मोंटेक सिंह अहलूवालिया और सैम पित्रोदा जैसे लोगों को लेटरल एंट्री के माध्यम से सरकार में शामिल किया गया था। भाजपा ने यह तर्क पेश किया कि वर्तमान में इस व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता थी, और उनके द्वारा किए गए निर्णय इस सुधार के हिस्से हैं।