You are currently viewing फिल्म ‘द साबरमति रिपोर्ट’ के बाद जेएनयू में बवाल: पत्थरबाजी और आरोप-प्रत्यारोप

फिल्म ‘द साबरमति रिपोर्ट’ के बाद जेएनयू में बवाल: पत्थरबाजी और आरोप-प्रत्यारोप

विक्रांत मैसी स्टारर फिल्म ‘द साबरमति रिपोर्ट’ रिलीज होते ही सुर्खियों में आ गई है। इस फिल्म को लेकर देशभर में चर्चा, विवाद और बहस का दौर जारी है। फिल्म का विषय संवेदनशील और राजनीतिक रूप से विवादास्पद है, जिससे कई प्रकार के विवाद खड़े हो गए हैं। हाल ही में, इस फिल्म की स्क्रीनिंग दिल्ली के प्रतिष्ठित जेएनयू विश्वविद्यालय में आयोजित की गई, जहां फिल्म के प्रदर्शन के दौरान जमकर बवाल हुआ। कुछ छात्रों ने फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान पत्थरबाजी की, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। इस घटनाक्रम के बाद एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के छात्रों ने वामपंथी छात्र संगठनों पर गंभीर आरोप लगाए, यह कहते हुए कि वामपंथी दलों के छात्र हमेशा इस तरह की हिंसक घटनाओं में शामिल होते हैं।

फिल्म ‘द साबरमति रिपोर्ट’ का विषय और विवाद

फिल्म ‘द साबरमति रिपोर्ट’ को धीरज शर्मा ने डायरेक्ट किया है और यह 2002 के गोधरा कांड और गुजरात दंगों के संदर्भ में आधारित है। फिल्म में प्रमुख भूमिका में विक्रांत मैसी, राशी खन्ना, और रिद्धा डोगरा नजर आए हैं। यह फिल्म गुजरात में हुए दंगों और उससे जुड़े विभिन्न मुद्दों को पर्दे पर उतारती है, जिनका समाज और राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा। फिल्म के रिलीज होते ही इसके विषय पर चर्चा तेज हो गई और विभिन्न समूहों की आलोचना भी सामने आई। हालांकि, फिल्म को लेकर जो मुख्य विवाद था, वह उसके राजनीतिक संदर्भ और गोधरा कांड को लेकर दिखाए गए दृष्टिकोण को लेकर था।

फिल्म के रिलीज होने के बाद आलोचनाएं भी बढ़ गईं, और क्रिटिक्स ने इसकी कहानी को सीमित दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने का आरोप लगाया। बावजूद इसके, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई खास सफलता नहीं हासिल कर पाई। इसके बावजूद, यह फिल्म सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रही, और इसने बड़े पैमाने पर ध्यान आकर्षित किया।

जेएनयू में फिल्म की स्क्रीनिंग और विवाद

बीते 7 दिसंबर को जेएनयू विश्वविद्यालय में फिल्म ‘द साबरमति रिपोर्ट’ की स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया, जिसे लेकर विश्वविद्यालय परिसर में हिंसा का माहौल बन गया। फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान, कुछ छात्रों ने पत्थरबाजी की, जिससे स्थिति में और तनाव बढ़ गया। घटना के बाद, एबीवीपी के छात्रों ने वामपंथी छात्र संगठनों पर आरोप लगाया कि हर बार जब भी इस तरह की राजनीतिक रूप से संवेदनशील फिल्में होती हैं, वामपंथी दलों के छात्र हिंसक गतिविधियों में शामिल होते हैं।

एबीवीपी ने आरोप लगाया कि यह घटनाएं हमेशा तब होती हैं जब किसी फिल्म में किसी खास राजनीतिक विचारधारा या घटना को लेकर आलोचना की जाती है। इस बार, फिल्म ने गुजरात दंगों को लेकर एक विशेष दृष्टिकोण पेश किया, जो विवाद का कारण बन गया। इसके बाद दोनों छात्र संगठनों के बीच तीखी नोंक-झोंक और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।

पीएम मोदी और अन्य नेताओं का फिल्म को लेकर रुख

फिल्म के रिलीज होने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और नितिन गडकरी जैसे प्रमुख नेताओं ने इस फिल्म को देखा था। यह घटना राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी गई, क्योंकि फिल्म ने एक ऐसा मुद्दा उठाया था, जो लंबे समय से भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ था। इसके अलावा, इस फिल्म को कई बीजेपी शासित राज्यों में टैक्स फ्री भी किया गया, जिससे इसे और भी अधिक प्रचार मिला।

‘द साबरमति रिपोर्ट’ न केवल एक फिल्म के रूप में, बल्कि एक राजनीतिक बयान के तौर पर भी चर्चा का विषय बन गई है। फिल्म का विषय और उसके प्रस्तुतीकरण ने विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूहों के बीच विवाद उत्पन्न किया है। जेएनयू में हुई हिंसा और पत्थरबाजी ने इस फिल्म को और भी विवादास्पद बना दिया। फिल्म के बारे में आलोचनाओं और समर्थन दोनों ही पक्षों से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, और यह फिल्म राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा के एक नए दौर की शुरुआत कर रही है।

Spread the love

Leave a Reply