Caste census: कांग्रेस ने केंद्र सरकार से मांग की है कि अगले जनगणना में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के जातिगत डेटा को भी शामिल किया जाए। कांग्रेस ने सुझाव दिया है कि ओबीसी के जातिगत डेटा को 1951 से एससी-एसटी के डेटा के संकलन की तरह ही इकट्ठा किया जा सकता है। इसके लिए जनगणना प्रश्नावली में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़ा जाना चाहिए। इस कदम से सक्रिय योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ठोस आधार प्राप्त होगा।
जयराम रमेश का बयान
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि केंद्र सरकार ने अगली जनगणना के संबंध में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि भारत में हर 10 साल में जनगणना होती है, लेकिन 2021 के बाद से जनगणना नहीं हुई है। इसके कारण आर्थिक योजनाओं और सामाजिक न्याय कार्यक्रमों के लिए आवश्यक डेटा और जानकारी उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
जनगणना में देरी और इसके प्रभाव
जयराम रमेश ने कहा कि जनगणना में देरी के कारण लगभग 12 करोड़ भारतीय राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 और पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के लाभ से वंचित रह गए हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि रिपोर्टों से पता चलता है कि केंद्र सरकार जल्द ही लंबित जनगणना को कुछ महीनों में शुरू करने की योजना बना रही है।
एससी-एसटी डेटा की तर्ज पर ओबीसी डेटा का संकलन
जयराम रमेश ने कहा कि हर जनगणना में 1951 से एससी-एसटी का जातिगत डेटा संकलित किया जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि जनगणना प्रश्नावली में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर ओबीसी की जनसंख्या का भी डेटा बिना किसी समस्या के प्राप्त किया जा सकता है। इससे जातिगत जनगणना की मांग पूरी होगी और विभिन्न सकारात्मक कार्यक्रमों के लिए एक ठोस आधार तैयार होगा।
संविधान और जनगणना की जिम्मेदारी
जयराम रमेश ने भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में निहित संघ सूची के 69 वीं प्रविष्टि का हवाला देते हुए कहा कि जनगणना कराना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। कांग्रेस नियमित जनगणना के साथ-साथ जातिगत जनगणना की भी मांग कर रही है, ताकि एससी-एसटी के साथ-साथ ओबीसी वर्ग को भी न्याय मिल सके।
कांग्रेस का यह कदम जातिगत जनगणना की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों की सटीक जानकारी प्राप्त करना और इसके आधार पर योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करना है।