Rinku Singh Engagement:भारतीय क्रिकेटर रिंकू सिंह की समाजवादी पार्टी की सांसद प्रिया सरोज से सगाई अब उनके सार्वजनिक जीवन पर असर डालने लगी है। इस सगाई को लेकर चुनाव आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए रिंकू सिंह को मतदाता जागरूकता अभियान (SVEEP) से हटा दिया है। आयोग ने यह कदम राजनीतिक निष्पक्षता बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया है, क्योंकि एक सक्रिय राजनेता से संबंध के कारण रिंकू सिंह की सार्वजनिक छवि पर राजनीतिक प्रभाव की संभावना है।
आयोग ने जिला प्रशासन को भेजा निर्देश, प्रचार सामग्री हटाने के आदेश
चुनाव आयोग ने एटा जिले के प्रशासन को निर्देश जारी कर कहा है कि रिंकू सिंह की तस्वीरें या वीडियो जहां भी स्वीप अभियान के तहत इस्तेमाल किए गए हों, उन्हें तुरंत हटाया जाए। इसमें पोस्टर, बैनर, होर्डिंग्स, वेबसाइट और सोशल मीडिया जैसे सभी प्लेटफॉर्म शामिल हैं। आयोग ने यह भी कहा है कि अब जब रिंकू की सगाई एक राजनीतिक दल से जुड़े सांसद से हो चुकी है, तो उन्हें सार्वजनिक प्रचार अभियानों में शामिल रखना निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ माना जाएगा।
जून में हुई थी सगाई, उसके बाद उठे राजनीतिक सवाल
जून 2025 में रिंकू सिंह की सगाई मछलीशहर से समाजवादी पार्टी की सांसद प्रिया सरोज से हुई थी। इस खबर के सार्वजनिक होने के बाद से यह चर्चा तेज हो गई थी कि उनकी सार्वजनिक छवि का इस्तेमाल किसी राजनीतिक दल को अप्रत्यक्ष लाभ पहुंचा सकता है। इससे पहले रिंकू सिंह को राज्य सरकार ने मतदाता जागरूकता अभियान के ब्रांड एंबेसडर के रूप में नियुक्त किया था।सगाई की खबरें सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने तुरंत संज्ञान लिया और यह निर्णय लिया कि किसी भी राजनीतिक रूप से जुड़े व्यक्ति को SVEEP अभियान में नहीं जोड़ा जाना चाहिए, चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में सक्रिय हो या किसी राजनीतिक व्यक्ति से संबंध रखता हो।
एडीएम ने पुष्टि की कार्रवाई की
एटा के एडीएम (वित्त एवं राजस्व) लालता प्रसाद ने जानकारी दी कि निर्वाचन आयोग से प्राप्त निर्देशों के अनुसार सभी संबंधित अधिकारियों और स्वीप टीमों को आदेश दे दिया गया है। उन्होंने बताया कि रिंकू सिंह से जुड़ी प्रचार सामग्री को सभी स्थानों से हटाया जा रहा है। इस प्रक्रिया में कोई ढिलाई न हो, इसके लिए विशेष निगरानी भी की जा रही है।
लोकतंत्र की निष्पक्षता सुनिश्चित करने की पहल
चुनाव आयोग का यह निर्णय स्पष्ट संकेत देता है कि वह लोकतंत्र की निष्पक्षता से कोई समझौता नहीं करेगा। मतदाता जागरूकता अभियान का मकसद जनता को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से मतदान करने के लिए प्रेरित करना है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की राजनीतिक संबद्धता की आशंका हो, तो उसे अभियान में बनाए रखना उचित नहीं है।