कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के मामले में न्याय की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टरों और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच चल रही वार्ता अंततः सफल रही है। पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स मोर्चा ने घोषणा की है कि वे अपनी हड़ताल वापस ले लेंगे। प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर शनिवार, 21 सितंबर से काम पर लौटेंगे, हालांकि ओपीडी सेवाएं अभी निलंबित रहेंगी।
सरकार ने मानी डॉक्टरों की मांगें
पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की ज्यादातर मांगों को मान लिया है। यह निर्णय उस समय लिया गया जब साउथ बंगाल में भारी बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। डॉक्टरों ने शुक्रवार, 20 सितंबर को अपने धरने को वापस लेने की घोषणा की। इसके बाद शनिवार से वे इमरजेंसी सेवाओं में फिर से काम करना शुरू करेंगे। हालाँकि, ओपीडी सेवाओं को अभी निलंबित रखा गया है, जब तक कि सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाती।
अंतिम प्रदर्शन मार्च
जूनियर डॉक्टरों की ओर से शुक्रवार को अंतिम प्रदर्शन मार्च निकाला जाएगा। इसके बाद, शनिवार से सभी डॉक्टर अपने नियमित काम पर लौटेंगे। इस बीच, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने अपने आंदोलन के दौरान कई महत्वपूर्ण बातें हासिल की हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे अब भी बने हुए हैं।
प्रमुख मांगों पर जोर
प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टर डॉ. अकीब ने कहा, “हमने अपने आंदोलन के 41वें दिन कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। हमने पुलिस कमिश्नर और डीएमई, डीएचएस को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा आंदोलन पूरी तरह से खत्म हो गया है। हम इसे एक नए तरीके से आगे बढ़ाएंगे।”
डॉ. अकीब ने यह भी बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार से मिले निर्देशों के तहत उन्हें सुरक्षा से जुड़े उपायों का आश्वासन दिया गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रमुख सचिव को हटाने और धमकी की संस्कृति पर कार्रवाई करने की मांग अब भी बनी हुई है।
सरकार पर नजर और आंदोलन की दिशा
डॉ. अकीब ने स्पष्ट किया कि आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि एक नए तरीके से जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर उनकी पूरी नजर रहेगी। उन्होंने कहा, “हम प्रशासन पर कड़ी नज़र रखेंगे। अगर हमें कुछ भी संदिग्ध लगता है, तो हम और मजबूत होकर वापस आएंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि फिलहाल, ओपीडी और ऑपरेशन थिएटर (ओटी) सेवाएं निलंबित रहेंगी, जब तक कि महिला सहकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय नहीं किए जाते। उनका कहना है कि “अभया के लिए न्याय” हमेशा उनकी प्राथमिकता रहेगी और उनकी निगाहें इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और सरकार की कार्रवाई पर टिकी रहेंगी।
काम पर वापसी और सेवाओं की बहाली
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि वे शनिवार से इमरजेंसी सेवाओं में काम फिर से शुरू करेंगे। हालांकि, ओपीडी और ओटी सेवाओं को बहाल करने में अभी समय लगेगा। उनका जोर है कि महिला सहकर्मियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाने तक ये सेवाएं निलंबित रहेंगी।
उन्होंने अंत में कहा कि वे अपने काम पर लौटने के बाद भी सरकार के कामकाज पर नजर रखेंगे और किसी भी अनियमितता की स्थिति में फिर से आंदोलन के लिए तैयार रहेंगे।