Delhi Assembly: पदिल्ली विधानसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है जब किसी सत्र से पहले रविवार को विधानसभा में एक विशेष अभ्यास सत्र आयोजित किया जाएगा। यह ऐतिहासिक कदम आगामी मानसून सत्र की तकनीकी रूप से निर्बाध संचालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस सत्र का आयोजन मुख्य रूप से ई-विधानसभा से जुड़ी तकनीकी खामियों को परखने और उन्हें दूर करने के लिए किया जा रहा है।सत्र लगभग डेढ़ घंटे का होगा जिसमें मुख्यमंत्री, सभी कैबिनेट मंत्री, विपक्ष एवं सत्तापक्ष के सभी विधायक हिस्सा लेंगे। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता स्वयं अध्यक्षीय आसन से इस अभ्यास में भाग लेंगे।
ई-विधानसभा के लिए अत्याधुनिक तकनीकी व्यवस्था
दिल्ली विधानसभा अब डिजिटल इंडिया की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रही है। नई व्यवस्था के तहत सदन में फेस रीडिंग सिस्टम से लैस आईपैड लगाए गए हैं, जिनके माध्यम से विधायक अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे और सदन की कार्यवाही में भाग लेंगे। यह पूरी व्यवस्था कागज रहित (paperless) होगी और पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी पहल को दर्शाती है।विधानसभा अध्यक्ष ने इस दिन को “ऐतिहासिक” करार देते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा अब पूर्ण रूप से ई-विधानसभा बनने की दिशा में अग्रसर है, और यह भारत की पहली पूर्ण डिजिटल और सौर ऊर्जा से संचालित विधानसभा बनने जा रही है।
तकनीकी परीक्षण और विशेषज्ञों की तैनाती
आगामी चार अगस्त से शुरू होने वाले मानसून सत्र से पहले यह ट्रायल जरूरी माना जा रहा है ताकि वास्तविक सत्र के दौरान किसी प्रकार की तकनीकी रुकावट न आए। इसके लिए विधानसभा सचिवालय ने 18 तकनीकी विशेषज्ञों की टीम तैनात की है, जो अलग-अलग विधायकों के साथ मिलकर उन्हें इस डिजिटल प्रणाली का प्रशिक्षण दे रही है।इन विशेषज्ञों की मदद से विधायकों को ई-विधानसभा की सुविधाओं, उपकरणों के उपयोग और फेस रीडिंग तकनीक से परिचित कराया जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके और तकनीकी अवरोधों से बचा जा सके।
डिजिटल पारदर्शिता और भविष्य की दिशा
ई-विधानसभा की यह पहल डिजिटल पारदर्शिता, सुगमता और समय की बचत के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखती है। इससे विधायी कार्य अधिक संगठित, पारदर्शी और प्रभावी होंगे। यह कदम न सिर्फ दिल्ली बल्कि देश की अन्य विधानसभाओं के लिए भी एक आदर्श प्रस्तुत कर सकता है।