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गर्मी के कारण रामलला के भोग-राग में बदलाव, अब मैंगो शेक, लस्सी व छाछ भी भोग में शामिल

Ayodhya News:भीषण गर्मी के मद्देनजर अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भगवान राम के भोग-राग में खास बदलाव किया गया है। अब रामलला को सुपाच्य और ठंडे पेय पदार्थों का भोग लगाया जा रहा है। खासकर मैंगो शेक, जो मौसमी फल आम से तैयार किया जाता है, को दोपहर की बाल भोग में नियमित रूप से अर्पित किया जा रहा है। इसके साथ ही कभी-कभी लस्सी और छाछ भी भोग के तौर पर रखे जाते हैं।मधुपर्क, जो कि मधु, घी और दही का मिश्रण होता है, भी रामलला के भोग में अहम स्थान रखता है। इसका अनुपात क्रमशः 3:2:1 होता है और यह नित्य पांच आरतियों में शामिल होता है।

मैंगो शेक और अन्य सुपाच्य भोग

मंदिर के एक ट्रस्टी ने बताया कि इस समय आम का मौसम है, इसलिए रामलला को विभिन्न रूपों में आम का भोग लगाया जाता है। कभी मैंगो शेक, कभी आम का पना और कभी सीधे आम के फल। भोग व्यवस्था के एक पदाधिकारी के अनुसार, उत्सवों पर ही पूड़ी-कचौड़ी और अन्य पका भोजन अर्पित किया जाता है, जबकि सामान्य दिन में सुपाच्य और ठंडे पेय पदार्थों को प्राथमिकता दी जाती है।

शाम के भोग और आरती

रामलला की पूजा-अर्चना का शुभारंभ भोर तीन बजे होता है, जब अर्चक मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रभु को जगाया जाता है। चार बजे ब्रह्ममुहूर्त में आम, सेब, केला व अन्य फलों का भोग लगाकर मंगला आरती होती है। इसके बाद धूप-दीप, नैवेद्य और मधुपर्क अर्पित किया जाता है। लगभग साढ़े चार बजे रामलला का श्रृंगार शुरू होता है, जिसमें स्नान और नए वस्त्र पहनाए जाते हैं।श्रीराम के श्रृंगार के बाद छिले हुए फल और मधुपर्क का भोग लगाया जाता है, इसके साथ श्रृंगार आरती होती है। इसी बीच श्रद्धालुओं के लिए दर्शन प्रारंभ कर दिया जाता है। सुबह नौ बजे बाल भोग में दलिया, पराठा, आलू टिक्की, तहरी या पोहा जैसे सुपाच्य व्यंजन अर्पित किए जाते हैं।दोपहर 12 बजे दाल-चावल, रोटी-सब्जी, दही, नारियल पानी, लस्सी, अनार और मुसम्मी के जूस का भोग लगाया जाता है। इसके बाद मध्याह्न आरती की जाती है और रामलला को शयन के लिए तैयार किया जाता है।

शाम एक बजे रामलला को जागृत किया जाता है और मधुपर्क, दीप-धूप, नैवेद्य अर्पित कर दर्शन के लिए पट खोला जाता है। शाम चार बजे बाल भोग में मैंगो शेक मुख्य रूप से दिया जाता है, साथ ही लस्सी और छाछ भी शामिल होती है। शाम सात बजे संध्या आरती के दौरान मधुपर्क, लड्डू और पेड़ा अर्पित किए जाते हैं।रात्रि साढ़े नौ बजे दाल-चावल, रोटी-सब्जी, दही आदि का भोग लगाया जाता है और शयन आरती होती है। इस प्रकार गर्मी में रामलला के भोग-राग में ऐसा बदलाव किया गया है, जिससे भगवान को सुपाच्य और ताजगी से भरपूर भोजन मिले।

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