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Jammu Kashmir Earthquake

जम्मू-कश्मीर में फिर कांपी धरती: किश्तवाड़ में आया भूकंप, प्रशासन सतर्क

Jammu Kashmir Earthquake: सोमवार तड़के जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। यह झटके सुबह 1:36 बजे आए, जब अधिकांश लोग गहरी नींद में थे। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.1 मापी गई, जो कि हल्की श्रेणी में आती है। हालांकि झटके मामूली थे, लेकिन कुछ क्षणों के लिए लोगों में घबराहट और दहशत का माहौल बन गया।

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने दी जानकारी

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Center for Seismology) के अनुसार, भूकंप का केंद्र किश्तवाड़ जिले के पास था। इसका भौगोलिक स्थान 33.17 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 75.87 डिग्री पूर्वी देशांतर पर दर्ज किया गया। भूकंप की गहराई धरती की सतह से 10 किलोमीटर नीचे थी, जिससे यह क्षेत्रीय प्रभाव तक ही सीमित रहा।

कोई नुकसान नहीं, पर लोगों को किया गया सतर्क

स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने स्पष्ट किया कि इस भूकंप से किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि एहतियात के तौर पर, क्षेत्रवासियों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। पहाड़ी इलाकों में भूकंप के झटके भूस्खलन या मामूली संरचनात्मक क्षति का कारण बन सकते हैं, इसलिए सतर्कता जरूरी है।

भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र

किश्तवाड़ और उसके आसपास का इलाका पहले से ही भूकंपीय संवेदनशीलता के लिए जाना जाता है। अतीत में भी यहां हल्की तीव्रता के भूकंप आते रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचलों के कारण भूकंप की आशंका में बना रहता है। हालांकि इस बार कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह घटना इस बात की चेतावनी जरूर देती है कि भविष्य में कभी भी अधिक तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है।

प्रशासन की तत्परता और त्वरित कार्रवाई

भूकंप के तुरंत बाद जिला प्रशासन ने स्थिति का समीक्षण किया और संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर रिपोर्ट प्राप्त की। पुलिस, पंचायत प्रतिनिधि और राहत दलों को अलर्ट मोड पर रखा गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति से समय रहते निपटा जा सके। प्रशासन द्वारा इलाके में जमीनी निरीक्षण भी किया गया।

जागरूकता और तैयारी है सबसे जरूरी

भविष्य में किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए जनसामान्य की जागरूकता और तैयारी बेहद आवश्यक है। प्रशासन द्वारा समय-समय पर मॉक ड्रिल और प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं ताकि लोग भूकंप जैसी स्थिति में सही निर्णय ले सकें। विशेषज्ञों की सलाह है कि घरों और इमारतों का निर्माण भूकंप-रोधी तकनीक से किया जाना चाहिए।

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