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जेएनयू में भूख हड़ताल का असर.. प्रशासन ने मानी प्रमुख मांगें, आंदोलन अभी जारी

JNU PhD Admission 2025: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में जारी छात्रों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के बीच प्रशासन ने आखिरकार एक बड़ा फैसला लेते हुए पीएचडी छात्रों के हित में दो अहम घोषणाएं की हैं। प्रशासन ने छात्रावास सुविधा का विस्तार करने और दिसंबर 2025 से पीएचडी दाखिला कार्यक्रम दोबारा शुरू करने की बात कही है। यह निर्णय छात्रों की लंबे समय से चली आ रही मांगों में से दो को स्वीकार करने के तौर पर देखा जा रहा है।

छात्रों की मांगों पर आंशिक सहमति

26 जून से जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष नीतीश कुमार और अन्य छात्र अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। छात्रों ने कुल मिलाकर आठ प्रमुख मांगें रखी थीं। इनमें शामिल हैं:
पीएचडी में प्रवेश परीक्षा की बहाली
वाइवा (साक्षात्कार) में अंकों की भूमिका घटाना
छात्रावास खाली करने के नोटिस वापस लेना
थीसिस जमा होने तक हॉस्टल सुविधा जारी रखना
प्राक्टोरियल जांच बंद करना
NET परीक्षा (जून 2025) के उम्मीदवारों से भेदभाव न करना
मासिक छात्रवृत्ति (MCM) को ₹5,000 तक बढ़ाना
हालांकि, अभी तक केवल हॉस्टल सुविधा विस्तार और साल में दो बार पीएचडी दाखिला प्रक्रिया पर सहमति बनी है। बाकी मांगों को लेकर छात्र संघ अपना आंदोलन जारी रखने पर अड़ा हुआ है।

प्रशासन का कदम और इसका महत्व

जेएनयू प्रशासन की ओर से की गई घोषणाओं को छात्र हितों की दिशा में एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है। विशेष रूप से पीएचडी दाखिला कार्यक्रम की बहाली उन छात्रों के लिए राहत की खबर है जो लंबे समय से इस प्रक्रिया के पुनः आरंभ की प्रतीक्षा कर रहे थे।
छात्रावास सुविधा का विस्तार भी एक अहम मुद्दा था, जिससे सैकड़ों छात्रों को राहत मिलेगी जो आवासीय संकट से जूझ रहे थे।

छात्र संघ का रुख: आंदोलन रहेगा जारी

भले ही प्रशासन ने कुछ मांगों को मान लिया हो, लेकिन छात्र संघ ने साफ किया है कि वे बाकी मांगों के समाधान तक भूख हड़ताल जारी रखेंगे। उनका कहना है कि जब तक प्रशासन सभी मुद्दों पर ठोस निर्णय नहीं लेता, वे पीछे नहीं हटेंगे।

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