Pahalgam attack: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में गुस्से का माहौल है। इस हमले को लेकर भारत सरकार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। इस बीच पाकिस्तान में चिंता और घबराहट का माहौल है। भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान में हलचल तेज हो गई है और वहां की सरकार लगातार बयानबाज़ी कर रही है।
इशाक डार ने दी कड़ी चेतावनी
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने भारत की संभावित सैन्य कार्रवाई को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा, “अगर किसी भी परिस्थिति में पाकिस्तान के लिए कोई चुनौती खड़ी होती है, तो हमारी सेना हर मोर्चे पर तैयार है।” इशाक डार के इस बयान से साफ ज़ाहिर होता है कि भारत की ओर से किसी भी सर्जिकल या एयर स्ट्राइक की संभावना से पाकिस्तान घबराया हुआ है।
मोदी सरकार के रुख से पाकिस्तान में बेचैनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस बार आतंकवाद के खिलाफ बेहद सख्त रवैया अपनाया है। पहले भी बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद की कार्रवाई ने पाकिस्तान को चेताया था कि भारत अब जवाबी हमलों से पीछे नहीं हटेगा। पहलगाम हमले के बाद एक बार फिर भारत की ओर से सख्त कदम उठाए जाने की संभावना के चलते पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है।
सेना की तैयारियों का हवाला देकर मनोबल बढ़ाने की कोशिश
पाकिस्तान सरकार और सेना बार-बार इस बात पर ज़ोर दे रही है कि वे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यह बयान न केवल घरेलू जनता को आश्वस्त करने की कोशिश है, बल्कि भारत को भी एक कड़ा संदेश देने का प्रयास है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की ये बयानबाज़ी असल में डर और असहजता का संकेत है।
भारत की चुप्पी और सख्त कार्रवाई की उम्मीद
भारत की ओर से अभी तक कोई औपचारिक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन सरकार के रवैये से यह अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि किसी भी वक्त कोई कड़ा कदम उठाया जा सकता है। भारत पहले भी कई बार आतंकवादी हमलों का सख्त जवाब दे चुका है और इस बार भी सरकार कोई कोताही नहीं बरतना चाहती।
पहलगाम हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया को लेकर पाकिस्तान सतर्क
पहलगाम हमले ने एक बार फिर भारत-पाक संबंधों में तनाव बढ़ा दिया है। पाकिस्तान की घबराहट और उसकी बयानबाज़ी इस बात का संकेत है कि भारत की ओर से संभावित जवाबी कार्रवाई को लेकर वह चिंतित है। ऐसे समय में दोनों देशों के नेताओं की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे हालात को काबू में रखें, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ भारत का सख्त रुख किसी भी प्रकार की ढील देने के मूड में नहीं है।