Gorakhpur News:गोरखपुर के टॉप माफिया में शुमार सुधीर सिंह ने आखिरकार लखनऊ की अदालत में सरेंडर कर पुलिस को चकमा दे दिया। वह हत्या के प्रयास के एक ताजा मामले में फरार चल रहा था, लेकिन उसने गिरफ्तारी से बचने के लिए एक पुराने आर्म्स एक्ट केस में आत्मसमर्पण कर दिया। इस कदम से उसे कानूनी सुरक्षा मिल गई और गोरखपुर पुलिस की गिरफ्त से फिलहाल बाहर हो गया।गौरतलब है कि 27 मई की रात खजनी थाना क्षेत्र में एक व्यापारी के घर आयोजित दावत में जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें बेलीपार के भौवापार निवासी अंकुर शाही गंभीर रूप से घायल हुआ था। इसी मामले में सुधीर सिंह मुख्य आरोपी है। एफआईआर दर्ज होने के बाद से एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और गोरखपुर पुलिस की कई टीमें उसकी तलाश में जुटी थीं, लेकिन वह लगातार फरार रहा।
सोशल मीडिया पर रहा सक्रिय, पुलिस के प्रयास हुए विफल
जब पुलिस उसे हर तरफ ढूंढ रही थी, सुधीर सिंह इंटरनेट मीडिया पर लगातार सक्रिय था। उसकी फेसबुक प्रोफाइल से लगातार भावनात्मक और पुलिस को चुनौती देने वाले पोस्ट सामने आते रहे। उसके समर्थकों ने “शेर को पिंजरे में बंद नहीं किया जा सकता” जैसे नारे सोशल मीडिया पर फैलाकर माहौल बनाने की कोशिश की।इन पोस्ट्स ने न केवल पुलिस को चिढ़ाया, बल्कि यह भी दिखाया कि सुधीर सिंह पूरी योजना के साथ पुलिस से कदम आगे चल रहा था। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि जब वह ऑनलाइन सक्रिय था, तो पुलिस उसकी लोकेशन ट्रैक क्यों नहीं कर पाई?
पुलिस अब लाएगी ट्रांजिट रिमांड पर
सीओ खजनी उदय प्रताप राजपूत ने बताया कि सुधीर सिंह के आत्मसमर्पण की जानकारी मिलते ही एक टीम लखनऊ रवाना कर दी गई है। अब उसे ट्रांजिट रिमांड पर गोरखपुर लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि सुधीर सिंह इन दिनों कहां छिपा रहा और किन-किन लोगों ने उसकी मदद की।सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या सुधीर ने जानबूझकर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर पुलिस को गुमराह किया और अपनी योजना के मुताबिक सरेंडर किया?
पुलिस की रणनीति और सूचना तंत्र पर उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने गोरखपुर पुलिस की कार्यप्रणाली और सूचना तंत्र की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। जब आरोपी सोशल मीडिया पर सक्रिय था, तो उसे ट्रैक क्यों नहीं किया गया? क्या पुलिस की गुप्त सूचनाएं लीक हो रही थीं? इन सवालों के जवाब अब गहन जांच के दायरे में हैंसुधीर सिंह उत्तर प्रदेश के 68 और गोरखपुर के टॉप 10 माफियाओं की सूची में शामिल है। उसका इस तरह अदालत में सरेंडर कर जाना पुलिस के लिए एक बड़ी विफलता मानी जा रही है।