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GST New Rules: एक अप्रैल से बदल जाएंगे जीएसटी के नियम, जानिए आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर

GST New Rules: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि आगामी एक अप्रैल से वस्तु एवं सेवा कर (GST) के नियमों में कई अहम बदलाव होने जा रहे हैं। इस बदलाव का उद्देश्य टैक्स स्लैब को सरल और युक्तिसंगत बनाना है, जिससे जीएसटी प्रणाली को और भी अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक बनाया जा सके। इसके अलावा, एक नई प्रक्रिया की शुरुआत की जा रही है, जो टैक्स चोरी और फर्जीवाड़े पर रोक लगाने का काम करेगी।

क्या बदलने जा रहा है जीएसटी नियमों में?

आगामी एक अप्रैल से, जीएसटी में पंजीकृत सभी उपयोगकर्ताओं के लिए मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) अनिवार्य कर दिया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य जीएसटी यूजर्स के डेटा को सुरक्षित करना और किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी या फर्जीवाड़े को रोकना है। MFA के लागू होने के बाद, जीएसटी के उपयोगकर्ता को अपनी लॉग-इन प्रक्रिया के दौरान वन टाइम पासवर्ड (OTP) के माध्यम से प्रमाणित किया जाएगा।

डेटा चोरी और फर्जीवाड़ा पर लगेगी रोक

जीएसटी प्रणाली में फर्जीवाड़ा करने और डेटा चोरी करने के तरीके अब ज्यादा प्रभावी नहीं रहेंगे। MFA के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी व्यक्ति बिना सही प्रमाण के जीएसटी पोर्टल में लॉग-इन नहीं कर सके।

नंबर अपडेट करने की अनिवार्यता

जीएसटी यूजर्स को अपने पंजीकरण विवरण को अपडेट करना आवश्यक होगा। इसके तहत, उपयोगकर्ताओं को इस महीने में अपने रजिस्टर्ड फोन नंबर को जीएसटी पोर्टल पर अपडेट करना होगा ताकि OTP प्राप्त करने में कोई परेशानी न हो।

10 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए ई-इनवॉयस अनिवार्य

जिन व्यापारियों का वार्षिक टर्नओवर 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक है, उन्हें 30 दिनों के अंदर ई-इनवॉयस की जानकारी देना अनिवार्य होगा। यह कदम जीएसटी प्रणाली में पारदर्शिता और समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

राजस्व तटस्थ दर (RNR) में कमी

सरकार ने यह भी कहा है कि जीएसटी की दरें और भी कम की जाएंगी। जब से 2017 में जीएसटी लागू हुआ था, तब से इसके स्लैब को युक्तिसंगत बनाने का कार्य चल रहा था, और अब यह प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। जुलाई 2017 में जब जीएसटी लागू हुआ था, तब इसकी राजस्व तटस्थ दर (RNR) 15.8 प्रतिशत थी, जो अब 2023 में घटकर 11.4 प्रतिशत हो गई है। इस दर में और कमी आने की संभावना जताई जा रही है। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है, क्योंकि इससे वस्त्र, खाने-पीने की वस्तुएं, और अन्य सामानों पर टैक्स की दर कम हो सकती है।

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