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लखनऊ जेल से हाई कोर्ट के जज को मिली जान से मारने की धमकी, साइबर सेल कर रही जांच

UP Crime: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पुलिस प्रशासन से लेकर न्यायिक तंत्र तक को हिला कर रख दिया है। लखनऊ जेल से इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के एक न्यायाधीश को ई-मेल के जरिए जान से मारने की धमकी दी गई है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि यह धमकी भरा मेल जेल में बंद एक कैदी ने भेजा था, और हैरानी की बात यह है कि ई-मेल भेजने के लिए उसने एक पुलिसकर्मी का मोबाइल फोन इस्तेमाल किया।

धमकी भरे मेल से मचा हड़कंप

घटना का खुलासा तब हुआ जब हाई कोर्ट के लखनऊ खंडपीठ के एक न्यायाधीश को एक संदिग्ध ई-मेल प्राप्त हुआ। इस मेल में साफ तौर पर चेतावनी दी गई थी कि संबंधित न्यायाधीश की हत्या होने वाली है। मेल की भाषा और शब्दावली से यह स्पष्ट था कि यह मज़ाक या अफवाह नहीं, बल्कि एक गंभीर धमकी थी। जैसे ही यह जानकारी सामने आई, तुरंत ही पुलिस और खुफिया एजेंसियाँ हरकत में आ गईं। न्यायपालिका की सुरक्षा को देखते हुए उच्च स्तर पर जांच शुरू की गई।

जांच में सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई

पुलिस की साइबर सेल और अपराध शाखा ने इस ई-मेल की गहराई से जांच की। मेल के स्रोत को ट्रेस करते हुए तकनीकी टीम ने पाया कि यह ई-मेल एक पुलिसकर्मी के मोबाइल फोन से भेजा गया था। मोबाइल नंबर की पहचान कांस्टेबल अजय कुमार के रूप में हुई, जो उस समय जेल में ड्यूटी पर तैनात था। जब उससे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उसका फोन कुछ समय के लिए गायब था, जिसे बाद में वापस मिला दिया गया।

पुलिस ने जब आगे की जांच की तो पाया कि फोन का इस्तेमाल जेल में बंद एक कैदी ने किया था। प्राथमिक जांच से यह भी संकेत मिले हैं कि कैदी ने किसी तरह कांस्टेबल का फोन अपने कब्जे में ले लिया और फिर उससे ई-मेल भेजा। हालांकि यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कैदी ने यह धमकी क्यों दी और इसके पीछे उसकी मंशा क्या थी।

साइबर सेल और जेल प्रशासन की संयुक्त जांच

इस घटना के बाद पुलिस विभाग और जेल प्रशासन दोनों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। एक ओर जहां जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल सख्त रूप से प्रतिबंधित है, वहीं दूसरी ओर यह मामला सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक को उजागर करता है। अब साइबर सेल, जेल प्रशासन और अपराध शाखा की संयुक्त टीम पूरे प्रकरण की जांच कर रही है।

जांच अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश में हैं कि क्या यह कोई व्यक्तिगत रंजिश का मामला है, किसी बाहरी साजिश का हिस्सा है या फिर कैदी ने किसी के इशारे पर यह ई-मेल भेजा। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल कैसे संभव हुआ और क्या इसमें अन्य कर्मचारियों की कोई भूमिका रही।

सुरक्षा बढ़ाई गई, निगरानी सख्त

इस धमकी के बाद लखनऊ खंडपीठ के न्यायाधीशों की सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है। न्यायालय परिसर और संबंधित आवासों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। वहीं, पुलिस विभाग ने भी सभी जेलों में मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की निगरानी बढ़ाने का आदेश दिया है।

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