Kashi Vishwanath Donation:महाकुंभ के दौरान काशी विश्वनाथ धाम में भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण देखने को मिला है। एक महीने के भीतर, मंदिर में करीब सात करोड़ रुपये का नकद दान हुंडियों में अर्पित किया गया है। यह राशि काशी धाम के इतिहास में प्राप्त हुई अब तक की सबसे बड़ी दान राशि मानी जा रही है, जो श्रद्धालुओं की गहरी आस्था और समर्पण का प्रतीक है। हालांकि, यह आंकड़ा केवल अनुमानित है, क्योंकि सोने और चांदी के चढ़ावे की गणना अभी पूरी नहीं हुई है।
नकद दान का अनुमानित आंकड़ा
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के अनुसार, एक माह में लगभग सात करोड़ रुपये का नकद दान प्राप्त हुआ है। हालांकि, यह राशि पूरी तरह से स्थिर नहीं है, क्योंकि इसका वास्तविक आंकड़ा तब ही सामने आएगा जब सोने और चांदी के चढ़ावों की गणना पूरी होगी। इस समय तक मंदिर प्रशासन ने केवल नकद दान की अनुमानित गणना की है, जो इस मंदिर के प्रति भक्तों की अडिग श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता है।
महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या
महाकुंभ की शुरुआत के बाद से काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दूर-दूर से भक्त बाबा के दरबार में अपनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए आ रहे हैं। इस बढ़ते दान के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि श्रद्धालुओं की आस्था कितनी गहरी और निरंतर बढ़ रही है। यह दान राशि केवल काशी धाम के प्रति भक्तों की श्रद्धा को ही नहीं, बल्कि उनके समर्पण और विश्वास को भी प्रदर्शित करती है।
सोने और चांदी के चढ़ावे की गणना अभी बाकी
काशी विश्वनाथ मंदिर के उपजिलाधिकारी शंभूशरण के अनुसार, नकद दान की गणना तो लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन सोने और चांदी के चढ़ावे की गणना अभी बाकी है। उन्होंने बताया कि इस गणना को जल्द ही पूरा किया जाएगा, जिसके बाद वास्तविक दान राशि का आंकड़ा सामने आएगा। भक्तों द्वारा अर्पित सोने और चांदी की मात्रा को जोड़ने के बाद कुल दान राशि में और भी इज़ाफा हो सकता है, जो श्रद्धालुओं के समर्पण को और स्पष्ट रूप से दर्शाएगा।
काशी धाम में दान की परंपरा
काशी धाम की यह बढ़ती दान परंपरा और श्रद्धालुओं का समर्पण इस स्थान की धार्मिक महिमा को और भी प्रगाढ़ बनाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं और अपनी भक्ति को व्यक्त करते हैं। यहां की धार्मिक परंपराएं और भक्तों का निरंतर बढ़ता स्नेह इस मंदिर को विशेष बनाता है, जिससे यह स्थान न केवल भारत, बल्कि विश्वभर में एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित है।