Ayodhya News: प्रदेश उपाध्यक्ष भगवा रक्षा परिषद् भाजपा नेता नीतीश पाण्डेय ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के पहले वर्ष की विशेषता को लेकर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक क्षण हमारे लिए गर्व का विषय है। अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की महान धरोहर का प्रतीक है, जो कई सदियों की प्रतीक्षा, बलिदान और संघर्ष के बाद साकार हुआ है।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर: सदियों की तपस्या का परिणाम
नीतीश पाण्डेय ने इस अवसर पर याद दिलाया कि अयोध्या धाम में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण केवल एक स्थान की पहचान नहीं, बल्कि यह लाखों रामभक्तों की आस्था, संघर्ष और बलिदान का परिणाम है। उन्होंने कहा कि यह मंदिर भारतीय संस्कृति के लिए एक अद्वितीय धरोहर है, जो पूरी दुनिया में एक प्रेरणा बन चुका है। विशेष रूप से, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की कठिन तपस्या और 500 वर्षों के स्वप्न को साकार करने के कारण यह मंदिर इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया है।
रामभक्तों का संघर्ष और बलिदान
नीतीश पाण्डेय ने कारसेवकों और अनगिनत बलिदानियों की याद में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका संघर्ष और संकल्प आज इस मंदिर के रूप में सफल हुआ है। इस मंदिर के निर्माण में उनका योगदान अपार है, और यह हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने उन लाखों कारसेवकों और बलिदानियों को नमन किया, जिन्होंने इस दिव्य कार्य को संभव बनाने के लिए अपनी जान की आहुति दी।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की भूमिका
इस अवसर पर नीतीश पाण्डेय ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की भूमिका का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले वर्ष ठीक इस दिन प्रधानमंत्री जी ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लिया और एक ऐतिहासिक कार्य को अंजाम दिया। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में यह स्वप्न साकार हुआ, और आज पूरा विश्व श्रीराम के चरणों में बसा हुआ है। यह घटना भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव को पुनः स्थापित करने वाली है।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर: देशवासियों का गर्व
नीतीश पाण्डेय ने कहा कि यह हमारे लिए परम सौभाग्य की बात है कि हम अपने जीवन में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को अपने आंखों से देख पाए हैं। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह भारतीयों की आत्मा से जुड़ा हुआ एक संवेदनशील मुद्दा है। उन्होंने इस अवसर पर देशवासियों से अपील की कि हम सभी इस मंदिर की महिमा को समझें और इसे अपनी संस्कृति और धरोहर के रूप में संरक्षित रखें।
इस तरह, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का उद्घाटन भारतीय समाज के लिए एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मील का पत्थर बन चुका है, जो हमारे पूर्वजों के बलिदान और संघर्ष की अनगिनत कहानियों को समेटे हुए है।