दिल्ली-एनसीआर में स्ट्रीट डॉग्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट की अहम सुनवाई, पशु अधिकार समूहों की नजरें टिकीं

Supreme Court Verdict On Stray Dogs: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ती आवारा कुत्तों की संख्या और इसके चलते लोगों की सुरक्षा को लेकर बनी चिंताओं के बीच, सुप्रीम कोर्ट आज (शुक्रवार) एक अहम फैसला सुनाने जा रहा है। यह मामला पिछले कुछ महीनों से काफी चर्चा में रहा है और इससे सीधे तौर पर डॉग लवर्स, पशु अधिकार कार्यकर्ता, और स्थानीय प्रशासन जुड़े हुए हैं।

किस बेंच से आएगा फैसला?

इस महत्वपूर्ण फैसले को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ सुनाएगी। यह मामला पूर्व में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की अगुवाई वाली पीठ के उस निर्देश से जुड़ा है, जिसमें दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम जैसे क्षेत्रों में आवारा कुत्तों को पकड़कर डॉग शेल्टर होम में भेजने के आदेश दिए गए थे।

आदेश के पीछे की वजहें

नगर निकायों को यह निर्देश रेबीज के बढ़ते मामलों और सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे को देखते हुए दिया गया था। साथ ही, अदालत ने उन लोगों और संगठनों को भी चेतावनी दी थी जो इन प्रयासों में बाधा डालने की कोशिश करेंगे, कि उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

पशु अधिकार समूहों ने जताई आपत्ति

इस फैसले के खिलाफ पशु कल्याण संगठनों और एनिमल लवर्स ने जोरदार विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों को एक साथ डॉग शेल्टर में भेजना व्यवहारिक नहीं है, क्योंकि वर्तमान में पर्याप्त शेल्टर सुविधाएं मौजूद नहीं हैं।इसके अलावा, कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के 2024 में दिए गए उस ऐतिहासिक निर्णय का हवाला भी दिया, जिसमें अदालत ने करुणा और सह-अस्तित्व जैसे संवैधानिक मूल्यों को मान्यता दी थी और आवारा पशुओं के अधिकारों को संरक्षित किया था।

क्या कहता है कानून?

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 51A(g) के तहत प्राकृतिक पर्यावरण और जीवों के प्रति करुणा रखना नागरिकों का कर्तव्य माना गया है। ऐसे में, सिर्फ सुरक्षा के नाम पर इन जानवरों को हटाना या बंद करना संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हो सकता है।

सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर

इस पूरे मुद्दे ने सोशल मीडिया से लेकर पब्लिक डिबेट तक में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर लोग बच्चों और बुजुर्गों पर स्ट्रीट डॉग अटैक की घटनाओं से चिंतित हैं, वहीं दूसरी ओर पशु प्रेमी और संगठन इन जानवरों के लिए मानवीय व्यवहार की मांग कर रहे हैं।

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